इटावा: सम्पूर्ण विश्व में केवल बर्फीले क्षेत्र अंटार्कटिका को छोड़कर यूं तो विषहीन और विषधारी सर्पों की सैकड़ों प्रजातियां धरती पर मौजूद है. जिनमे कई छोटे -बड़े सर्प शामिल है. विश्व भर में सर्पों की 3,000 से भी ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं. वहीं, भारत भर में सर्पों की लगभग 300 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. इसी क्रम में जनपद इटावा में 2 फीट लम्बाई के सामान्य सर्प लाइकोडोंन (कॉमन वोल्फ स्नेक) की नई प्रजाति देखी गई है, जिसकी निचली त्वचा गर्दन से लेकर पूंछ तक गुलाबी रंग की ही है.
जिसे इससे पहले कभी भी पूरे भारत में कहीं नहीं देखा गया है. सम्भवतः इस प्रजाति में कोई न कोई डीएनए परिवर्तन अवश्य ही हुआ है जो कि, भविष्य में एक शोध का विषय भी है. समान्यतयः लाइकोडोंन सर्प की ऊपरी त्वचा (डोर्सल सरफेस स्केल्स) हल्की कत्थई (लाइट ब्राउन) या चॉकलेटी रंग की होती है, जिसकी निचली त्वचा (वेंट्रल सरफेस स्केल्स) सफेद या हल्के पीले रंग की ही होती है.
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लेकिन इस नये सर्प की प्रजाति की त्वचा बिल्कुल गुलाबी रंग की है, जो कि देखने में बड़ी ही खूबसूरत भी लग रही है. इस प्रकार का सर्प इससे पहले कभी भी कहीं नहीं देखा गया है. वन्यजीवों पर शोध कर चुके मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर और जनपद इटावा के ऑफियोलॉजिस्ट सर्पमित्र वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. आशीष त्रिपाठी ने विश्व सर्प दिवस के अवसर पर कॉमन वोल्फ स्नेक की इस नई प्रजाति को खोजने के बाद उसे एक नया नाम लाइकोडोंन पिंकाशीष (Lycodon pinkashish) दे दिया है.
अब से यह विशेष दुर्लभ प्रजाति इसी नाम से दुनिया भर में भी जानी जायेगी. राष्ट्रीय मिशन मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया से जुड़े भारत के शीर्ष सर्प विशेषज्ञों की टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे मिशन के नेशनल कोर्डिनेटर शीर्ष सर्प विशेषज्ञ प्रोफेसर केके शर्मा ने भी कहा है कि इससे पहले भारत में कभी ऐसी प्रजाति को नहीं देखा गया है. इसके साथ ही डॉ. त्रिपाठी ने जनपद की जनता से भी अपील की है कि यदि कभी लाइकोडोंन प्रजाति का यह छोटा सा सर्प आपके घर में निकल आए या दिखाई दे जाये तो बिल्कुल भी घबराए नहीं क्योंकि यह एक विषहीन प्रजाति का सर्प है.
इनसे किसी को भी कोई खतरा या नुकसान नहीं होता है. बल्कि ये छोटे-छोटे सर्प हमारे आपके घरों में पाये जाने वाले कीड़े मकोड़ों को खाकर हमारे आपके घर की सफाई ही करते रहते हैं.
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