इटावा:मदरसा सेवा नियमावली में होने जा रहे संशोधन को लेकर जनपद के मदरसा संचालकों ने शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाए है. उनका कहना है कि सरकार की मंशा मदरसों का विकास कम बल्कि मूलभूत ढांचा अरबी फारसी भाषा के विकास को डिस्टर्ब करने की ज्यादा लग रही है. क्योंकि शिक्षा के आधुनिकीकरण को लेकर पहले से ही मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान विषय पढ़ाए जा रहे हैं. इन विषयों को पढ़ाने के लिए जो शिक्षक रखे गए हैं, उन्हें ही सरकार वेतन नहीं दे पा रही है तो ऐसे में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास शिक्षकों को सरकार कहां से वेतन देगी. जबकि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के मुताबिक पास शिक्षकों की भर्ती के लिए अभी फिलहाल कोई आदेश उनके पास नहीं है.
मदरसा अरबिया कुरानिया के प्रिंसिपल मौलाना तारिक शमसी का कहना है कि टीईटी पास शिक्षकों की भर्ती के फैसले का वह स्वागत करते हैं. इससे मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में जरूर सुधार होगा. लेकिन सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से मदरसों का जो मूलभूत ढांचा अरबी और फारसी भाषा को विकसित करने का था. उस पर आने वाले समय में जरूर फर्क पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि आधुनिक विषय मदरसों में पढ़ाई जाएं. लेकिन ये काम 1994 से अटल की सरकार के समय से शिक्षा के आधुनिकीकरण के रूप में होता चला आ रहा है, जिसके तहत मदरसों में हिंदी अंग्रेजी गणित विज्ञान विषय पढ़ाए जा रहे हैं. लेकिन सन् 2017 से इन आधुनिक विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को बजट की कमी के चलते सरकार वेतन ही नहीं दे पा रही है तब ऐसे में मदरसों में नई भर्तियां करना और टीईटी पास शिक्षकों को वेतन कहां से देगी.
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