इटावा: चंबल घाटी कभी खूंखार डकैतों की गोलियां की तड़तड़ाहट से गूंजा करती थी. लगभग डेढ़ दशक पहले इस इलाके में दस्यु सरगनाओं का दबदबा कायम रहता था. उस समय यहां के लोग पुलिस से दूरी बनाकर रहते थे और डकैतों के काफी नजदीक हुआ करते थे. अब इस चम्बल के बीहड़ का माहौल बदला है.
इटावा: चंबल घाटी में मैराथन दौड़ का आयोजन, पुलिस और जनता हुई शामिल
यूपी के इटावा की चंबल घाटी कभी डकैतों के लिए जानी जाती थी. अब इस चम्बल के बीहड़ का माहौल बदलने के लिए पुलिस ने पहल की है. बीहड़ की जनता के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की गई.
मैराथन का आयोजन
इटावा के इस बीहड़ की जनता के बीच पुलिस ने अपने मित्रवत संबंध कायम करने की दिशा में दौड़ लगा दी है. बीहड़ की जनता के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की गई. इस मैराथन में इलाके के आठ सौ युवाओं ने हिस्सा लिया.
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एसएसपी ने दी जानकारी
कभी दस्यु प्रभावित इलाके के नाम से जाना जाने वाले बीहड़ के युवा अब भारतीय सेना सीआरपीएफ और पुलिस में जाने की तैयारी के लिए आज सड़कों पर दौड़ रहे हैं. अब इस चंबल घाटी में डकैत पैदा नहीं होंगे. अब इस इलाके से भारतीय सेनाओं के वीर योद्धा पैदा होंगे, जो देश और समाज में कानून का राज स्थापित करेंगे. पुलिस और जनता की इस मैराथन से बीहड़ के इलाके में जनता के बीच पुलिस का नेटवर्क भी मजबूत होगा.