इटावा:जिले में लॉकडाउन होने के बाद अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. दूसरे राज्य से मजदूरी करने आए लोग यहां भूख से परेशान हो रहे हैं. लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ पलायन करने लगे हैं. जिले में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो दूसरे राज्यों से आए थे. आज वह भुखमरी के कगार पर खड़े हैं. वही आनन-फानन में प्रशासन और सरकार पलायन करने वालों के लिए साधन और भोजन की व्यवस्था करा रही है.
इटावा: कई दिनों से नहीं मिला खाना, भूखे मरने को मजबूर - कोरोना वायरस खबर
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में लॉकडाउन के चलते लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. भूख के मारे लोग जगह-जगह से पैदल ही पलायन करने लगे हैं. दूसरे राज्य से मजदूरी करने आए लोग यहां फंसे हुए हैं.
कबाड़ बीनने का करते हैं काम
जिले में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो कबाड़ा बीनने का काम करते हैं. यह परिवार लगभग पांच दशक पहले मद्रास से इटावा आकर बस गए थे. इनको यहां बसे लगभग 40 साल हो गए हैं. यह सभी लोग रेलवे लाइन के किनारे झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे हैं. अभी तक कबाड़ बेचकर जो पैसा मिलता था, उसी से अपना परिवार चला रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने से इनका काम पूरी तरह ठप हो गया.
भूख से परेशान कई परिवार
ऐसे लगभग पांच दर्जन परिवार हैं, जिनके पास न तो खाने को कुछ है और न ही अनाज है. यहां छोटे-छोटे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने कई दिनों से खाना नहीं खाया. कोई अगर कुछ दे देता है तो खाकर गुजारा हो जाता है. किसी के दरवाजे जाकर भीख मांगकर भी कुछ खा लेते हैं. सरकार ने लाखों करोड़ों खर्च कर कम्युनिटी किचन बनाए, लेकिन सहायता इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है.