इटावा: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर इटावा भाजपा कार्यालय में उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सीएम योगी के वृक्षारोपण महा अभियान के अंतर्गत कार्यालय में पौधरोपण भी किया. भाजपा जिलाध्यक्ष ने मुखर्जी जी के जीवन के अहम पहलुओं से कार्यकर्ताओं को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है.
प्रसिद्ध बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
भाजपा जिलाध्यक्ष अजय धाकरे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक प्रसिद्ध बंगाली परिवार में हुआ था. उनकी माता का नाम जोगमाया देवी मुखर्जी और पिता आशुतोष मुखर्जी बंगाल के एक जाने-माने व्यक्ति और कुशल वकील थे. डॉक्टर मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्रथम श्रेणी में 1921 में प्राप्त की थी.
इसके बाद उन्होंने 1923 में एम.ए. और 1924 में बी.एल. किया. 1923 में ही सीनेट के सदस्य बन गए थे. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद कोलकाता उच्च न्यायालय में एडवोकेट के रूप में अपना नाम दर्ज कराया. इसके बाद वे सन 1926 में लिंकन्स इन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए और 1927 में बैरिस्टर बन गए.
'एकता की स्थापना था उनका लक्ष्य'
श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महान शिक्षाविद और चिंतक होने के साथ-साथ भारतीय जनसंघ के संस्थापक भी थे. उन्हें आज भी एक प्रखर राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त के रूप में याद किया जाता है. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांतों के पक्के इंसान थे. संसद में उन्होंने सदैव राष्ट्रीय एकता की स्थापना को ही अपना प्रथम लक्ष्य रखा था.