एटा:जिले में पुलिस का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है. 6 वर्ष पूर्व अलीगंज पुलिस की हिरासत में हुई युवक की मौत से जुड़ी पोस्टमार्टम सीडी गायब हो गई थी. अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी को नोटिस भेजकर 6 सप्ताह में सीडी तलाश कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं. आयोग का नोटिस मिलने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. पुलिस ने गायब वीडियो सीडी की तलाश तेज कर दी है, बावजूद इसके सीडी का कोई पता नहीं चल रहा है. सीडी गायब होने के मामले में जिम्मेदार विवेचकों पर गाज गिर सकती है.
सवालों के घेरे में पुलिस की कार्यशैली
वर्ष 2014 में जिले की अलीगंज कोतवाली में पुलिस की हिरासत में मैनपुरी जनपद के एक युवक की मौत हो गई थी. परिजनों ने पुलिस पर पीट-पीटकर हत्या का आरोप लगाया था. उस समय ग्रामीणों ने जाम लगाकर काफी हंगामा किया था. इस मामले में दर्ज मुकदमा में पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है. पुलिस ने मृतक के हत्यारों का पता न लगाकर मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित कर दी. जबकि पोस्टमार्टम में मृतक बालकराम के शरीर पर चोटों के निशान पाए गए थे. मानवाधिकार हनन से जुड़े इस प्रकरण की शिकायत जिले के कस्बा जैथरा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली में दर्ज कराई थी. आयोग ने पुलिस हिरासत में मौत से जुड़े इस प्रकरण की जांच आयोग की अन्वेषण शाखा को सौंप दी. आयोग ने पूर्व में जिले के डीएम व एसएसपी को सशर्त समन भेजकर पोस्टमार्टम से जुड़े अभिलेख तलब किए थे. जिसमें एएसपी क्राइम ने मुकदमा में अंतिम रिपोर्ट प्रेषण की जानकारी देते हुए आयोग को आख्या भेज दी.
एएसपी ने सीडी तलाशने के लिए और समय देने का अनुरोध किया, जिस पर आयोग ने एसएसपी को 6 सप्ताह का समय देते हुए सीडी तलाश कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं. आयोग के नोटिस के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. सूत्रों के अनुसार पोस्टमार्टम की वीडियो सीडी न पुलिस ऑफिस में मिल रही है और न ही कोर्ट में. ऐसे में जिम्मेदार विवेचकों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.
यह है पूरा मामला
मैनपुरी जनपद के ग्राम भोजपुर निवासी बालकराम 22 जुलाई, 2014 को साइकिल से घरेलू सामान व बाजरा खरीदने के लिए अलीगंज बाजार आया था. जैसे ही साइकिल अलीगंज के अकबरपुर रोड स्थित तिराहा पर बेरिया के बाग के समीप पहुंची, तभी अलीगंज पुलिस की जीप आई. उसमें से तत्कालीन थानाध्यक्ष आरके अवस्थी, उपनिरीक्षक राजकुमार, सिपाही ओमवीर, सिपाही प्रवीण उतरकर आए और बदमाश कहकर जबर्दस्ती बालकराम को गाड़ी में डालकर कोतवाली ले गए. आरोप है कि थाने ले जाकर तत्कालीन क्षेत्राधिकरी अलीगंज शमशेर बहादुर सिंह के निर्देश पर चारों पुलिसकर्मियों ने बालकराम की पीट-पीटकर हत्या कर दी. यह खबर किसी तरह गांव पहुंच गई और जहां से यह खबर क्षेत्र में फैल गई.
पुलिस की कार्यशैली से आक्रोशित ग्रामीणों ने एटा-अलीगंज मार्ग स्थित कायमगंज तिराहा पर हंगामा काटते हुए 23 जुलाई यानि बुधवार को सुबह करीब 8 बजे जाम लगा दिया. पुलिस ने परिजनों को जानकारी दिए बगैर शव को अज्ञात में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. बालकराम का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था. जिले के कस्बा जैथरा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील कुमार ने इस पूरे मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में करते हुए प्रकरण की स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग उठाई थी.
सीओ ने तीन लोगों को माना दोषी
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील कुमार सिंह ने बताया कि 2014 में पुलिस कस्टडी में बालकराम कश्यप की पीट-पीटकर हत्या मामले में हमने माननीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी, जिसमें मानवाधिकार आयोग द्वारा जांच की जा रही है. इसमें एटा जिले के एसएसपी से एक रिपोर्ट तलब की गई है, जिसमें पोस्टमार्टम की सीडी गायब हो जाने की बात कही गई. वहीं इस मामले में सीओ अलीगंज की जांच में तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है.
ढूंढ़ने पर भी नहीं मिल रही सीडी
एएसपी क्राइम राहुल कुमार ने बताया कि सीओ अलीगंज से इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी गई थी. उन्होंने अपनी जांच में विवेचक सहित तीन लोगों को दोषी माना है. सभी संभावित स्थानों पर सीडी दिखवा ली गयी है. अभी तक सीडी नहीं मिली है. इसकी जानकारी आयोग को भेज दी गई है.