एटा:एटा से महज 12 किलोमीटर दूर स्थित हिम्मतनगर बझेरा मिट्टी के टीले के रूप में रह गया है. लगभग सवा 200 साल पहले यहां एक आलीशान महल था. यह स्थल 19वीं सदी तक मराठाओं की ओर से नवाब फर्रुखाबाद से चौथ वसूलने वाले महाराजा हिम्मत सिंह की रियासत थी. हिम्मतनगर बझेरा कभी चौहानों के राज्य का स्तंभ कहा जाता था. यह जगह अपने अंदर इतिहास की एक ऐसी कथा समेटे है जो इस राज्य के उत्थान और पतन की कहानी है. सन 1857 में यहां के राजा डंबर सिंह ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे, जबकि उनके दादा हिम्मत सिंह ब्रितानी हुकूमत को सालाना लाखों रुपये राजस्व देते थे.
एटा: अंग्रेजों से लड़ने वाला ऐसा राज्य जो अब बन चुका है मिट्टी का टीला
यूपी के एटा जिले में हिम्मतनगर बझेरा एक खंडहरनुमा जगह है. इस जगह का गौरवशाली इतिहास रहा है. 18वीं सदी में यहां चौहान वंश के प्रतापी शासकों का राज्य था. इस वंश के आखिरी राजा डंबर सिंह हुए जिन्होंने आजादी की पहली लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था.
जब अंग्रेजों ने ध्वस्त किया हिम्मतनगर राज्य
अपने वैभव को देखने के बाद अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में इस किले का दुखद अंत हो गया. देश के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में यहां के शासक महाराजा डंबर सिंह ने वीरगति प्राप्त की. 1857 में अंग्रेजों ने जीत के बाद तोपों से इस किले को ध्वस्त करा दिया. साथ ही इसकी सारी जमीन को गधों से जुतवा दिया था. इस किले का फाटक उतार कर एटा जेल में लगवा दिया गया. डंबर सिंह की पत्नी को गुजारे भत्ते के लिए 11 गांव देकर उनकी पूरी संपत्ति जब्त कर ली गई.