एटा: प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी किसानों का सरकारी क्रय केंद्रों से मोहभंग हो गया है. मौजूदा समय में मंडी और सरकारी क्रय केंद्रों पर एक कुंटल पर महज 20 रुपए का अंतर ही रह गया है. इसके चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों की औपचारिकताओं से बचने के लिए मंडियों में अपना गेहूं बेच रहे हैं.
एटा: कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं - farmer are selling wheat direct to shopkeeper in eath
प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी जिले के सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है. वहीं जिला खाद्य विपणन अधिकारी प्रज्ञा शर्मा का कहना है कि किसान कागजी कार्रवाई से बचने के लिए अपना गेहूं मंडियों में बेच रहे हैं.
कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं
क्या है मामला
- प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है.
- किसानों को मंडी में गेहूं का1820 रुपये प्रति कुंटल का भाव मिल रहा है जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर 1840 रुपए प्रति कुंतल का भाव है.
- किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों पर कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं जबकि मंडी में किसानों को आधार कार्ड और खसरा-खतौनी भी नहीं लगाना पड़ता.
- इसके साथ ही सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के बाद पैसे के लिए चक्कर काटना भी किसानों को भारी पड़ता है.
'गेहूं के दाम मंडी में बढ़ गए हैं जिसके बाद अब महज 20 रुपये का ही अंतर रह गया है. सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं लेकिन किसान औपचारिकताएं करना नहीं चाहते. हमारे यहां पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होता है. बिना पंजीकरण के हम सरकारी केंद्रों पर गेहूं नहीं खरीद सकते'.
- प्रज्ञा शर्मा, जिला खाद्य विपणन अधिकारी