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इस बार भी यहां अंधेरे में ग्रामीण मनाएंगे दिवाली, आजादी के 75 साल बाद भी नहीं पहुंच सकी बिजली - eta update news

एक ओर दीपावली पर धार्मिक नगरी अयोध्या में लाखों दीप जलेंगे. सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में विश्व रिकॉर्ड बनेगा. लेकिन सूबे में आज भी एक ऐसा गांव है, जो आजादी के 75 साल बाद भी अंधरे तले रहने को मजबूर है.

इस बार भी यहां अंधेरे में ग्रामीण मनाएंगे दिवाली
इस बार भी यहां अंधेरे में ग्रामीण मनाएंगे दिवाली
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Published : Nov 3, 2021, 2:10 PM IST

कासगंज:आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी यूपी के एटा जिला का एक गांव आज भी बिजली से महरूम अंधेरे तले दिवाली मनाने को मजबूर है और सूबे की योगी सरकार हर गांव बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. एक ओर दिवाली पर पूरा देश रंगीन झालरों से जगमगाएगा, राम नगरी अयोध्या में एक साथ नौ लाख दीये जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाए जाएंगे, लेकिन इस गांव के लोग दिवाली के दिन भी अंधेरे में ही रहेंगे.

ईटीवी भारत की टीम रियलिटी चैक करने को मंगलवार देर रात यूपी के एटा जिले के ब्लॉक अलीगंज के लगभग तीन सौ की आबादी वाले व 100 वोट वाले नगला तुलई में पहुंची, जहां प्रवेश करते ही घनघोर अंधेरे ने हमारा स्वागत किया. गनीमत रही कि हमारी टीम के पास एलईडी लाइटें थीं. गांव की गलियों में घोर अंधेरा था यानी बिना टॉर्च यहां जाना मुश्किल ही नहीं मुसीबत को न्योता देने जैसा था.

इस बार भी यहां अंधेरे में ग्रामीण मनाएंगे दिवाली

नगला तुलई में आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. इस गांव के लोग आज भी रात में मोमबत्ती और ढिबरी की रौशनी में अपने काम करते हैं. कुछ लोगों के यहां छोटी मोटी सोलर लाइटें जरूर लगी थी, लेकिन इनकी संख्या में दो-चार घरों तक ही सीमित रही.

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ग्रामीणों के अनुसार इन सोलर लाइटों की बैटरी बामुश्किल दो घंटे चलती है. ऐसे में मोमबत्ती और दीया ही लोगों का सहारा हैं. सोलर बैटरी डिस्चार्ज होने पर लोगों को अपने मोबाइल चार्ज करने के लिए गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर राजा का रामपुर जाना पड़ता है.

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इस बार भी यहां अंधेरे में ग्रामीण मनाएंगे दिवाली

यहां सबसे बड़ी परेशानी स्कूली बच्चों को उठानी पड़ती है. बच्चों को दिन में ही पढ़ाई करनी पड़ती है. क्योंकि रात में सोलर लाइट की रौशनी मात्र दो घंटे ही मिलती है. उसमें भी उस रोशनी में घर के जरूरी काम करने पड़ते हैं और अगर दिन में बादल छा जाएं तो सोलर बैटरी चार्ज भी नहीं हो पाते हैं.

एक बुजुर्ग ने बताया कि अक्सर मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ते समय मोमबत्ती गिरने से बच्चे भी जल जाते हैं. गांव में एक ऐसा नजारा भी देखने को मिला, जो हैरान करने वाला था. एक महिला टॉर्च की रोशनी में बर्तन साफ करती दिखाई दी.

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कई महिलाओं ने बताया कि जब से उनकी शादी हुई है, तभी से इस गांव में बिजली नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि जब से यह गांव बसा है. तभी से इस गांव में बिजली नहीं है और लोग रात में अंधेरे में रह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय ही नेता वोट मांगने के लिए यहां आते हैं.

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वहीं, जब इस विषय में एटा के जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल से फोन पर ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि पूर्व में प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जबकि सूत्रों की मानें तो इस प्रकार का कोई भी प्रपोजल अभी तक नहीं बनाया गया है.

बता दें कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा था कि देश मे 18,500 गांवों में बिजली नहीं है. लेकिन वह वादा करते हैं कि 1000 दिनों में वे यह सूरत बदल देंगे. लेकिन ऐसा न हो सका. हालांकि, सरकार ने इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना और सौभाग्य योजना को शुरू किया है.

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