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लॉकडाउन: गंगा में विसर्जन की राह देख रहीं अस्थियां

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में लॉकडाउन का असर श्मशान घाटों पर भी दिख रहा है. दाह संस्कार होने के बाद जिला मुख्यालय स्थित मोक्षधाम में करीब 40 से 45 अस्थि कलश रखे हुए हैं, लेकिन गंगा नदी में इनका विसर्जन नहीं हो पा रहा है. देखिए यह खास रिपोर्ट..

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Published : Apr 14, 2020, 1:31 PM IST

lockdown effect on crematorium in etah
एटा जिले में लॉकडाउन का श्मशान घाटों पर असर.

एटा:कोरोना वायरस के चलते देश में लगे लॉकडाउन के खुलने का इंतजार आम लोगों की तरह जनपद मुख्यालय स्थित श्मशान घाट यानी मोक्षधाम में रखें 40 से अधिक अस्थि कलशों को भी है. यह अस्थियां अपनी मुक्ति के लिए गंगा में विसर्जन की राह देख रही हैं.

दरअसल, जिला मुख्यालय स्थित श्मशान घाट में करीब 40 मृत व्यक्तियों का दाह संस्कार हुआ, लेकिन लॉकडाउन के चलते परिजन इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित नहीं कर सके. जब तक लॉकडाउन चलेगा तब तक मोक्षधाम में रखे इन अस्थि कलशों को भी मुक्ति के लिए गंगा में विसर्जन की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी.

गंगा में विसर्जन की राह देख रहीं अस्थियां

मोक्षधाम के पुजारी ने दी जानकारी
मोक्षधाम के पुजारी संतोष साहू उर्फ बंगाली बाबा का कहना है कि देश में लॉकडाउन लगने के बाद इस श्मशान में करीब 40 से 45 दाह संस्कार हुए. दाह संस्कार के बाद करीब 40 से 45 व्यक्तियों की अस्थियां यहीं अस्थि कलश में रखी हुई है. उन्होंने बताया कि जिस कलश में अस्थियां रखी जाती हैं, उस पर लाल कपड़ा बांधकर नाम और पता लिख दिया गया है, जिससे लोगों को पता चल सके कि उनके प्रिय रहे व्यक्ति की अस्थियां कौन सी है.

हिन्दू धर्म में एक प्राणी का शरीर पंच तत्वों से निर्मित माना जाता है. मृत्यु के बाद दाह संस्कार और फिर अस्थि विसर्जन जरूरी संस्कार माने जाते हैं. अस्थियों को गंगा सहित पवित्र नदियों में विसर्जित करने का विधान है.

..नहीं तो अपनाएं यह विधान
त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर के पंडित अरुण उपाध्याय के अनुसार, 'यदि किसी कारणवश 10 दिन के अंदर मृत आत्मा की अस्थियों को किसी पवित्र नदी में विसर्जित नहीं किया जा सकता हो तो परिजनों द्वारा अपने भवन के उत्तर पूर्व पर किसी एकांत जगह पर गड्ढा खोद कर अस्थि कलश को उसमें रख दें.

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उन्होंने बताया कि अस्थि कलश को रखने के साथ ही उसमें सामान्य जल और गंगाजल डालें. उसके बाद जब भी समय मिले, उन अस्थियों को विधि विधान से निकालकर गंगा आदि पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दें.

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