देवरिया: जिले के गरीब बच्चों के जीवन में बीते दस साल से एक शिक्षक शिक्षा का उजाला फैलाने में जुटे हैं. उन्होंने कई समस्याओं से जूझते हुए गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की. मौजूदा समय में वह करीब 50 बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं. वह समाज के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं.
दरअसल, देवरिया के रामगुलाम टोला स्थिति नव ज्योति पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल सदासिवन प.पुलिक्कल पेशे से एक प्राइवेट शिक्षक हैं. वह बताते हैं कि उनका बचपन से शिक्षक बनने का सपना था. इसके चलते पढ़ाई के बाद उन्होंने टीचिंग को ही अपने पेशे के रूप में चुना. वह साइंस के टीचर बन गए.
उन्होंने बताया कि एक बार वह किसी होटल में खाना खाने गए थे, बाहर निकलते समय उन्हें होटल के पीछे से कुछ बच्चों की आवाज सुनाई दी. जब वहां गए तो देखा कि वहां होटल का वेस्ट रखा जाता था. बच्चे आवारा पशुओं के बीच में खाने की तलाश कर रहे थे. इस दृश्य ने उन्हें झकझोर कर रख दिया. उसी दिन से गरीब बच्चों के जीवन में उजाला करने की ठान ली.
सदासिवन प.पुलिक्कल बताते है की कुछ बच्चे आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते स्कूल छोड़ देते हैं. ऐसे में उन गरीब बच्चों की मदद करने के लिए फ्री में उन्हें पढ़ाने का विचार आया. मैं हालांकि आर्थिक रूप से मैं इतना मजबूत नहीं था कि 40 से 50 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा पाऊं. इस वजह से एक छोटा सा स्कूल खोलकर बच्चों को शिक्षा देनी शुरू की. आज उनकी मेहनत रंग लाई है और गरीब बच्चो का जीवन सुधर रहा है.
सदासिवन प.पुलिक्कल बताते है कि आज मैने एक खुद का स्कूल खोल रखा है. इसका नाम उन्होंने नवज्योति पब्लिक स्कूल रखा है. इस स्कूल में 40 से 50 गरीब बच्चों को वह मुफ्त पढ़ाते हैं. साथ ही उनके बैग और स्टेशनरी आदि का खर्च भी वह खुद उठाते हैं.
उनका मानना है कि देश और दुनिया का हर बच्चा जो भले किसी भी वर्ग का हो उसे शिक्षा जरूर मिलनी चाहिए. समाज में फैली कई बुराइयों का कारण अशिक्षा है, जिसकी वजह से कई बुराइयां हमारे बीच में फैली हुई हैं. गरीब या वंचित वर्ग के बच्चे आर्थिक कमजोरी के कारण पढ़ नहीं पाते हैं. पैसे कमाने के लालच में कई गलत काम करते हैं. कोई नशाखोरी में फंसकर रह जाता हैं तो कोई पन्नी बीनकर अपना पेट पालता है. इन बच्चों को भी अच्छा जीवन जीने का अधिकार है. ऐसे में उन बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए सबको मिलकर पहल करनी चाहिए.
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