देवरिया: जिले के बरहज तहसील के मईल गांव निवासी मनीष चौधरी का शव शुक्रवार को गृह जनपद पहुंचा. बुधवार की सुबह तबीयत बिगड़ने से उनकी पुणे में मौत हो गई थी. आरोप है कि पांच फरवरी को मनीष चौधरी ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई थी, इस वजह से उनकी मृत्यु हुई है. परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था. डीएम से वार्ता करने के पांच घंटे बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.
बीएसएफ के जवान थे मनीष
मईल गांव निवासी रमेश चौधरी के पुत्र मनीष चौधरी बीएसएफ में थे. उनकी तैनाती पुणे में थी. पांच फरवरी को उनको कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी. इसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी. इसकी जानकारी बीएसएफ जवान ने विभाग के अधिकारियों के अलावा परिवार के लोगों को भी दी थी. मंगलवार की सुबह जवान ने अपने पिता व गांव के एक मित्र को फोन कर बताया था कि कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी है. साथ ही विभाग के अधिकारी इलाज कराने के बजाय ड्यूटी करा रहे हैं.
परिजनों ने लगाया आरोप
इसी बीच बुधवार सुबह मनीष की मौत हो गई. शुक्रवार को जब शव उनके दरवाजे पर पहुंचा तो परिजनों ने अधिकारियों पर इलाज न कराने का आरोप लगाया. परिजनों ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई कराने, शहीद का दर्जा दिलाने, नौकरी व परिवार को एक करोड़ रुपये देने की मांग की. साथ ही शव को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया. तहसील के सभी अफसर मौके पर पहुंच गए. सूचना पर पहुंचे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सुमित यादव ने डीएम अमित किशोर से फोन के जरिए परिजनों की बात कराई. इसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया.
'बेटों को अधिकारी बनाने का सपना रहा अधूरा'
बीएसएफ के जवान मनीष चौधरी का शव शुक्रवार को सुबह गांव में पहुंचते ही कोहराम मच गया. मनीष की पत्नी को समझाने के लिए जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सुमित यादव गए तो उन्होंने कहा कि मेरे पति बेटों को अधिकारी बनाना चाहते थे. उनकी ख्वाहिश अधूरी रह गई. बता दें कि साल 2008 में मनीष को राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार भी दिया था.