उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

आदिवासी ग्रामीणों ने SDM कार्यालय के समाने किया प्रदर्शन - tribal villagers protest in manikpur

यूपी के चित्रकूट जिले के मानिकपुर तहसील पहुंचे आदिवासी ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि हम आदिवासी वर्षों से जंगलों में रहते आ रहे हैं. वन क्षेत्र की उपज से ही हम लोग अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन वन विभाग के लोग हमारी खेती उजाड़ रहे हैं.

आदिवासि ग्रामीणों ने मानिकपुर तहसील पर किया प्रदर्शन
आदिवासि ग्रामीणों ने मानिकपुर तहसील पर किया प्रदर्शन

By

Published : Dec 16, 2020, 4:46 PM IST

चित्रकूट: मानिकपुर तहसील पहुंचे आदिवासी ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर उपजिलाधिकारी को आठ सूत्री ज्ञापन सौंपा. आदिवासी मूल के ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2006 से संसद में लंबित वन अधिकार कानून को पारित किया जाए. साथ ही हमारे घर व खेती को उजाड़ रहे वन विभाग पर रोक लगाई जाए.

दरअसल, मानिकपुर तहसील पहुंचे आदिवासी ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया. ग्रामाणों ने आठ सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपा. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि हम आदिवासी वर्षों से जंगलों में रहते आ रहे हैं. वन क्षेत्र की उपज से ही हम लोग अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग और रानीपुर वन्य जीव विहार के कर्मचारी और अधिकारी हम लोगों के खड़े खेत उजाड़ रहे हैं. वह खेतों में गड्ढा कर देते हैंं. यहीं नहीं हमारे कच्चे बने घरों को भी क्षतिग्रस्त कर आग लगा दे रहे हैं, जिसके चलते हम लोगों का जीवन बेहद कठिन हो चुका है. ऐसी स्थिति में वन विभाग पर रोक लगाई जाए. यही नहीं आदिवासी ग्रामीणों ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए कृषि कानूनों का भी विरोध किया.

आदिवासी ग्रामीणों की प्रमुख मांगें

  • तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और किसानों के हित में नए भूमि अधिकार कानून बनाए जाएं.
  • वन अधिकार कानून को लागू किया जाए और उनके तहत सामुदायिक दावों का निस्तारण किया जाए.
  • अभी भी देश में भूमिहीनता की समस्या बुरी तरह से व्याप्त है. भूमिहीनों को भूमि के अधिकार देने के लिए कानून को मजबूत किया जाए.
  • खेतिहर मजदूरों के अधिकारों के लिए 40 वर्षों से अभी भी संसद में कानून लंबित है, उसे पास नहीं किया गया. इस कानून को जल्द से जल्द पारित करके मजदूरों के अधिकारों को बहाल किया जाए.
  • देश में आजादी के बाद अभी भी भूमि सुधार का एजेंडा अधूरा है, उसे पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं.
  • कृषि व जंगल में महिलाएं 90% से भी अधिक अपना योगदान दे रही हैं, लेकिन उन्हें किसान का दर्जा प्राप्त नहीं है. भूमिहीन महिलाओं को भूमि के अधिकार दिए जाएं.
  • भूमि अधिकार के साथ श्रम अधिकार का विशेष जुड़ाव है. इस श्रम अधिकार को श्रमजीवी समुदाय के पक्ष में मजबूत किया जाए.
  • बढ़ते पर्यावरणीय संकट के चलते खेती व जंगल में सामूहिक खेती व वानिकी को बढ़ावा दिया जाए. इसके लिए विशिष्ट कानून बनाया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details