चित्रकूट: भरी गर्मी में सिर से पसीना थर-थर टपक रहा हो और ऊपर से अंधेरा छाया हो तो यह सब सोच कर इंसान के होश उड़ जाते हैं. इंसान इधर-उधर भागने लगता है. आपको बता दें कि ऐसी है बदहाल जिंदगी हो गई है, चित्रकूट के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की. यहां स्कूल में न पंखे हैं और न ही लाइट. अगर है तो सिर्फ घना अंधेरा और बच्चों के माथे से टपकता ये पसीना.
सरकारी स्कूल में अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे. जी हां हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के मुख्यालय में बने एक विद्यालय की. विद्यालय में बिजली गुल हो जाने के बाद बच्चे उमस भरी गर्मी और अंधेरे में पढ़ने को मजबूर हो जाते हैं. अंधेरे में गर्मी की झलक बच्चों के चेहरे पर साफ देखने को मिलती है.
कोई जिम्मेदार नहीं लेता सूध
बता दें कि स्कूल के बराबर में बीएसए का ऑफिस है. ऑफिस में लाइट न होने पर इनवर्टर का प्रयोग किया जाता है. शिक्षा विभाग के पास निजी जनरेटर भी उपलब्ध है. अगर अधिकारी चाहें तो जनरेटर के माध्यम से छात्रों को बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन कहते है न कि जब बात अपने पर आती है तो इंसान को पता चलता है कि तकलीफ किस बला का नाम है. जनरेटर होने के बावजूद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी बच्चों की तकलीफों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
सरकार के दांवे इस स्कूल में हो रहे फेल
स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के चेहरे पर अंधेरे की बैचेनी और मायूसी साफ तौर पर देखी जा सकती है. अब सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रों को बेहतर शिक्षा की सुविधाएं देने का जो वादा करती है, सरकार का यह दावा चित्रकूट के इस स्कूल में फूस नजर आ रहा है.