चित्रकूटः मंदाकिनी गंगा की स्वच्छता का स्थाई समाधान खोजने के लिए संत मदन दास ने नौ दिसंबर को संतों और प्रशासनिक अधिकारियों की वृहद चौपाल का आह्वान किया है. धर्म नगरी चित्रकूट की जीवनदायिनी और करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र पवित्र सलिला मां मन्दाकिनी में महा आरती की शुरुआत कर दी गयी है, परंतु नदी की निर्मलता को लेकर साधुजन काफी चिंतित हैं.
मंदाकिनी की निर्मलता के लिए संत आए आगे, नौ दिसंबर को होगी बैठक. मन्दाकिनी गंगा के प्रदूषित जल को देखकर संत इसे निर्मल करने की रणनीति बनाने लगे हैं. कामतानाथ प्रमुख मन्दिर के संत मदनदास ने मन्दाकिनी नदी की दुर्दसा से आहत होकर संतों की एक चौपाल लगाई. इसके निदान के लिए स्थाई समाधान खोजे जाने को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आगामी नौ दिसम्बर को राघव घाट में एक चौपाल बुलाने का निर्णय लिया है. इस बात की जानकारी सन्त मदनदास ने प्रेसवार्ता के दौरान दिया.
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पुराणों के अनुसार भगवान राम की तपोस्थली से प्रवाहित मन्दाकिनी नदी का उद्गम माता सती अनुसुइया के तप से हुआ था और इसकी पवित्रता, अविलरता ही धर्म नगरी को पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में व्यापक पहचान दिलाती है. आज भी करोड़ो हिंदुओ की आस्था मन्दाकिनी से जुड़ी हुई है और मन्दाकिनी ही चित्रकूट वासियो के लिए जीवनदायिनी है.
कामतानाथ प्रमुख मंदिर के सन्त मदनदास ने कहा कि मंदाकिनी में महा आरती करने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. जब तक मंदाकिनी हैं तभी तक चित्रकूट की पहचान है, इसके असितित्व को बचाने के लिए हमको आगे आना होगा और मन्दाकिनी की चिंता करना होगा.
सन्त मदनदास ने कहा की मन्दाकिनी की इस दुर्दशा के लिए हम सब जिम्मेदार हैं, इसमें चाहे मठ मंदिर हो चाहे समाज सेवी संस्थाएं या आमजनमानस. इसलिए मंदाकिनी को बचाने के लिए नौ दिसम्बर को राघव प्रयाग घाट में एक सम्मिलित पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सन्त समाज, अधिकारी और आमजनमानस के लोग शामिल होकर मंदाकिनी को बचाने की रणनीति बनाएंगे.