चित्रकूट:असमय बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे के कारण बढ़ी ठंड से आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं बढ़ी ठंड से गोवंशों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिला प्रशासन द्वारा गोवंश संरक्षण के लिए कड़े निर्देश दिए जाने के बाद भी कई गोशालाओं को अभी तक स्थाई रूप नहीं मिला है. वहीं ग्राम प्रधानों का कहना है कि ठंड की वजह से गोवंशों की मृत्यु न हो इसके लिए जिला प्रशासन ने आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक गोशालाओं के लिए वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है.
- बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ी ठंड से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
- गोवंश संरक्षण के लिए दिए गए कड़े निर्देश के बाद भी कई गोशालाएं स्थाई नहीं हैं.
- वित्तीय स्वीकृति न मिलने पर भी ग्राम प्रधान स्वयं गो आश्रय केंद्र को संचालित कर रहे हैं.
- गो संरक्षण और संवर्धन के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं और गो आश्रय केंद्र भी बनाए गए हैं.
- गो आश्रय केंद्रों पर अन्ना गोवंशों को रखकर उनके चारा, पानी और भूसा की व्यवस्था की जा रही है.
बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड
पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड के बाद जिला प्रशासन ने गोवंशों की ठण्ड से मृत्यु न हो इसके लिए आदेश दिए थे. आनन-फानन में सभी ग्राम प्रधानों, ग्राम विकास अधिकारियों से लेकर जिले के विकास कार्यों से जुड़े अधिकारियों को आदेश जारी किए गए, जिसके लिए ग्राम प्रधानों और सचिवों ने अपने स्तर से कार्य करना शुरू भी कर दिया. कई गो आश्रय केंद्रों में स्थाई तो ज्यादातर में अस्थाई रूप से पन्नी और त्रिपाल से छाया गया है.
ग्राम प्रधानों ने स्वयं संचालित किया गो आश्रय केंद्र
ग्राम प्रधानों का कहना है कि स्वयं के उपायों से अभी तक गो आश्रय केंद्र संचालन किया जा रहा है. 400 गोवंशों के बीच एक ट्रैक्टर-ट्राली का पुआल खाने के लिए प्रतिदिन देना पड़ता है, जो कि छह से सात हजार रुपये में आता है, जिसका आज तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ. वहीं गो आश्रय केंद्र बनाने के लिए लगी तार फेंसिंग, पिलर गेट और चरही बनाने में साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं. टीन की चादर हम लोगों ने व्यापारी से उधार लिए हैं.