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झारखंड रोप-वे हादसा : कहीं चित्रकूट के हनुमान धारा में भी न हो जाए ऐसी घटना, पढ़िए पूरी खबर

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट को मिलाकर दो रोप-वे लगाए गए हैं. हनुमान धारा में रोप-वे तार फंसने के कारण बहुत समय तक बाधित रहा. इस कमी को अभी भी दूर नहीं किया गया है, जबकि हाल में झारखंड में रोप-वे की घटना ने सबको झकझोर के रख दिया है.

चित्रकूट में रोपवे
चित्रकूट में रोपवे

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Published : Apr 14, 2022, 9:45 AM IST

Updated : Apr 14, 2022, 11:38 AM IST

चित्रकूट: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा में स्थित धार्मिक नगरी चित्रकूट में ऊंचाई पर स्थित धार्मिक स्थानों तक पहुंचने के लिए रोप-वे लगवाए गए हैं. चित्रकूट में दो रोप-वे हैं. पहला मध्य प्रदेश सीमा में स्थित हनुमान धारा तो दूसरा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के लक्ष्मण पहाड़ी पर स्थित है. हाल ही में झारखंड त्रिकूट पर्वत तक पहुंचने के लिए लगे रोप-वे में हुए हादसे पर श्रद्धालु क्या कहते हैं और क्या यह रोप-वे श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित है, आइए जानते हैं.

हनुमान धारा में लगे रोप-वे को जब हमने बारीकी से समझा तो इसमें झारखंड त्रिकूट पर्वत में लगे रोप-वे से काफी हद तक समानता देखने को मिली. जैसे रोप-वे में ट्रॉली एक ही हैंगर के सहारे हैं, जिससे वह हवा में ज्यादा हिलती है. दूसरा खम्भों का फासला ज्यादा और सीधी उंचाई पर है. जब इस संबंध में हनुमान धारा के मैनेजर और टेक्निकल टीम से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने सुरक्षा का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और रोप-वे का टिकट लेने के बावजूद सवारी करने से मना कर दिया. वहीं, सिक्योरिटी गार्ड के साथ भेजकर वीडियो न बनाने की हिदायत दी गई.

झारखंड रोप-वे हादसा को लेकर बातचीत.

जब स्थानीय लोगों से रोप-वे के संबंध में पूछा तो एक चौकाने वाला वाकया सामने आया जो त्रिकूट में हुई घटना से ज्यादातर मेल खाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ समय बाद रोप-वे दोबारा तो चालू कर दिया गया, लेकिन अगर समय रहते तकनीकी कमिया दूर नहीं की गईं तो यह हादसा दोबारा भी हो सकता है. आजमगढ़ से चित्रकूट दर्शन को पहुंचे अमित कुमार ने बताया कि वह 327 मीटर ऊंचे पहाड़ पर बनी लगभग 600 से ज्यादा सीढ़ी पैदल ही चढ़कर उतर आए हैं. ऐसा नहीं कि रोप-वे पर कोई भी नहीं बैठना चाहता, लेकिन हाल ही में झारखंड के रोप-वे में हुई घटना के बाद हमारी हिम्मत जवाब दे रही है. जबकि स्थानीय लोगों ने बताया कि रोप-वे का खंभा काफी दूर है और तार अत्यधिक झूलते हैं, जिसके चलते उन लोगों को पैदल ही पहाड़ चढ़कर आना पड़ा है.

हनुमान धारा के स्थानीय निवासी ने बताया कि रोप-वे के लगने के बाद दर्शनार्थियों की संख्या भी बढ़ी है. अब आसानी से लोग ऊपर तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक बार ऐसा हुआ कि झूलती ट्रॉली केबल तार में फंस गई और बहुत देर के बाद दोबारा उसको संचालित किया गया. वास्तव में रोप-वे के खंभों की दूरी काफी है. इसललिए बीच में एक खंभा और लगने की जरूरत है. वहीं, हनुमान धारा मंदिर के पुजारी गुलशन कुमार ने बताया कि बच्चे, बूढ़े और महिलाएं आसानी से ऊपर दर्शन करने पहुंचे रहे हैं. रोप-वे के तारों में एक खंभा देकर टाइट करने की जरूरत है. हनुमान जी की कृपा से आज तक कोई घटना घटित नहीं हुई.

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उत्तर प्रदेश के लक्ष्मण पहाड़ी पर बने रोप-वे के प्लांट इंचार्ज अजय सिंह ने बताया कि 3 साल पूर्व मुख्यमंत्री योगी ने प्लांट का उद्घाटन किया था. तब से लगातार यह संचालित है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सुबह प्लांट की चेकिंग होने के उपरांत ही रोप-वे की सेवा दी जा रही है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के हनुमान धारा में लगे रोप-वे को इंडियन कंपनी द्वारा निर्मित किया गया है तो वहीं, लक्ष्मण पहाड़ी पर स्थित रोप-वे को चाइनीस कंपनी की तकनीकी से बनाया गया है. इस प्लांट को बिजली चमकते समय और तेज हवा चलने के बाद संचालन रोक दिया जाता है.

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Last Updated : Apr 14, 2022, 11:38 AM IST

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