चित्रकूट: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा में स्थित धार्मिक नगरी चित्रकूट में ऊंचाई पर स्थित धार्मिक स्थानों तक पहुंचने के लिए रोप-वे लगवाए गए हैं. चित्रकूट में दो रोप-वे हैं. पहला मध्य प्रदेश सीमा में स्थित हनुमान धारा तो दूसरा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के लक्ष्मण पहाड़ी पर स्थित है. हाल ही में झारखंड त्रिकूट पर्वत तक पहुंचने के लिए लगे रोप-वे में हुए हादसे पर श्रद्धालु क्या कहते हैं और क्या यह रोप-वे श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित है, आइए जानते हैं.
हनुमान धारा में लगे रोप-वे को जब हमने बारीकी से समझा तो इसमें झारखंड त्रिकूट पर्वत में लगे रोप-वे से काफी हद तक समानता देखने को मिली. जैसे रोप-वे में ट्रॉली एक ही हैंगर के सहारे हैं, जिससे वह हवा में ज्यादा हिलती है. दूसरा खम्भों का फासला ज्यादा और सीधी उंचाई पर है. जब इस संबंध में हनुमान धारा के मैनेजर और टेक्निकल टीम से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने सुरक्षा का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और रोप-वे का टिकट लेने के बावजूद सवारी करने से मना कर दिया. वहीं, सिक्योरिटी गार्ड के साथ भेजकर वीडियो न बनाने की हिदायत दी गई.
जब स्थानीय लोगों से रोप-वे के संबंध में पूछा तो एक चौकाने वाला वाकया सामने आया जो त्रिकूट में हुई घटना से ज्यादातर मेल खाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ समय बाद रोप-वे दोबारा तो चालू कर दिया गया, लेकिन अगर समय रहते तकनीकी कमिया दूर नहीं की गईं तो यह हादसा दोबारा भी हो सकता है. आजमगढ़ से चित्रकूट दर्शन को पहुंचे अमित कुमार ने बताया कि वह 327 मीटर ऊंचे पहाड़ पर बनी लगभग 600 से ज्यादा सीढ़ी पैदल ही चढ़कर उतर आए हैं. ऐसा नहीं कि रोप-वे पर कोई भी नहीं बैठना चाहता, लेकिन हाल ही में झारखंड के रोप-वे में हुई घटना के बाद हमारी हिम्मत जवाब दे रही है. जबकि स्थानीय लोगों ने बताया कि रोप-वे का खंभा काफी दूर है और तार अत्यधिक झूलते हैं, जिसके चलते उन लोगों को पैदल ही पहाड़ चढ़कर आना पड़ा है.