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चित्रकूट में सरदार सेना और भीम आर्मी की जनहित संकल्प महारैली

सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरएस पटेल ने चित्रकूट के कबरापुरवा विद्यालय में आयोजित जनहित संकल्प महारैली में शिरकत की. भीम आर्मी चंद्रशेखर ने कार्यक्रम के दौरान मंच से बीजेपी और आरएसएस को आड़े हाथ लिया.

जनहित संकल्प महारैली
जनहित संकल्प महारैली

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Published : Dec 12, 2021, 11:00 PM IST

चित्रकूटः भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कार्यक्रम के दौरान मंच से बीजेपी और आरएसएस को आड़े हाथ लिया है. चंद्रशेखर ने कहा कि 59 हजार शिक्षक भर्ती मामले में 20 हजार पद एससीएसटी और ओबीसी के खा गए हैं. ये लोग जातिगत गणना नहीं होने देना चाहते हैं.

चित्रकूट में सरदार सेना के तत्वाधान में जातिगत जनगणना एवं वंचितों के संपूर्ण अधिकार की मांगों को लेकर जनहित संकल्प महारैली का आयोजन किया गया. जिसमें सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर. एस. पटेल और भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण आज कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचे. जहां भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं और सरदार सेना के कार्यकर्ताओं ने दोनों का जोरदार स्वागत किया. दोनों नेताओं ने एक मंच से जातिगत जनगणना एवं वंचितों को संपूर्ण अधिकार दिलाए जाने की मांग की है.

जनहित संकल्प महारैली

वहीं भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ये सरकार लोगों को बेरोजगार कर रही है और 69 हजार शिक्षक भर्ती का मामला था. जिसमें सरकार ने 20 हजार एससी-एसटी और ओबीसी बच्चों की नौकरियां खा ली, जो हमारा संविधान के हिसाब से अधिकार बनता है. वह भी हमें सरकार नहीं दे रही है.

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उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही सरकार हिंदुत्व की बात करने लगती है और हिन्दू खतरे में आ जाते हैं. जबकि सरकार हिंदुत्व वालों की है. अगर भारतीय जनता पार्टी को विकास के नाम पर चुनाव लड़ना है तो हिंदू, मुस्लिम और मंदिर-मस्जिद- मथुरा मुद्दा यह कहां से आ रहा है. फिर क्यों मुजफ्फरनगर के दंगों का दोबारा जिक्र किया जा रहा है. क्योंकि 4.5 साल में उन्होंने कुछ नहीं किया. कुछ किया होता तो बात होती. आपने तो 4.5 साल बेरोजगारों को लाठी मारने का काम किया है और जनता को लूटने का काम किया, अत्याचार करने का काम किया, सरकारी नौकरी खत्म करने का काम किया. हम समाज को जागरुक करने के लिए चित्रकूट में आए हैं.

हालांकि दोपहर बाद देर से शुरू हुए इस आयोजन में ठण्ड बढ़ते देख आयोजको के रोकने के बावजूद कई ग्रामीण कार्यक्रम के बीच से ही उठ कर चले गए.

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