चित्रकूट: यहां ऐतिहासिक गधा मेले की शुरुआत 300 वर्ष पहले मुगल शासक औरंगजेब ने की थी. बताया जाता है कि जब औरंगजेब चित्रकूट के मंदिरों को तोड़ने पहुंचा था और उसके घोड़े और खच्चर बीमार होने के बाद खत्म हो गए थे. तब दीपावली के बाद लगातार पांच दिनों तक इस मेले में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गधों के व्यापारी यहां पहुंचे और व्यापार किया. यहां गधों की कीमत लाखों रुपये होती है.
चित्रकूट जिले में दीपदान मेले का शनिवार को चौथा दिन था. दीपदान मेले में दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला लगता है. यह मेला औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है. इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं. गधों का नाम फिल्मी सितारों के नाम पर रखा जाता है. यहां अमिताभ बच्चन, सलमान, शाहरुख आदि के नामों की बोली लगती है. लाखों की संख्या में लोग इस मेले में पहुंचते हैं.
धार्मिक नगरी चित्रकूट में गधा मेले के कारण रौनक है. मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है. मंदाकिनी नदी के किनारे यह मेला लगता है. इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने की थी. औरंगजेब ने चित्रकूट के इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया था. इस मेले में करीब एक लाख रुपये तक के गधे बिकते हैं. मुगल काल में शुरू हुआ यह मेला सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खत्म होने की कगार पर है.