चित्रकूट:चित्रकूट जो पहले से ही डकैतों के जुल्मों से जूझता रहा है. अशिक्षा, बेरोजगारी के बीच रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजें जुटाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं था. ऐसे हालात में एक अच्छा घर की चाहत यहां के लोगों के लिए किसी सपने जैसी थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना इनका सपना पूरा कर रही है.
पीएम मोदी का सपना 'सबका घर हो अपना' आवास योजना से पूरा कर रहे हैं. घर बनाने में लोगों की जिंदगी बीत जाती है और कइयों के तो यह सपने पूरे भी नहीं हो पाते. ऐसे ही लोगों को घर देने की योजना का नाम है प्रधानमंत्री आवास योजना. सरकार का दावा है कि साल 2022 तक सभी का अपना एक घर होगा. अब तक 5 हजार लोगों को आवास दिए जा चुके हैं.
घर से पानी निकालते ही रात कट जाती थी
दूसरों के घरों में बर्तन झाड़ू करके पेट पालने वाली विधवा फातिमा ने कहा कि हमारी तो हिम्मत ही नहीं थी कि हम इतना बड़ा घर बनवा सकें. दो बच्चों को पालना ही मेरे लिए पहाड़ जैसे था. जब पानी बरसता था तो कच्ची छत से पानी मेरे घर में भर जाता था. मैं रात भर पानी बर्तनों से बाहर निकालती रहती थी और रात मेरी इसी तरह पानी फेंकने में कट जाती थी. लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी है. मेरे पास रहने को पक्का मकान और मेरे सिर के ऊपर एक पक्की छत है.
पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था
दोना पत्तल बना कर अपना जीवन-यापन करने वाली विधवा रानी पत्नी स्वर्गीय सोहबत अली ने बताया कि दोना पत्तल बना कर 10 से 20 रुपये ही कमा पाती हूं. ज्यादा मेहनत करने पर 50 रुपये से ऊपर का काम नहीं हो पाता है. इतने कम आय में मैंने पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना से अब मुझे पक्का मकान मिल गया है.