बुलंदशहर: अलीगढ़ इगलास के पूर्व विधायक मलखान सिंह और उनके अंगरक्षक की 30 मार्च 2006 को उनके मान सरोवर कॉलोनी स्थित आवास के बाहर गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी. मलखान सिंह रालोद में थे. इनके भाई दलवीर सिंह ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू सहित 18 आरोपियों को इस हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था. इन 18 आरोपियों में से अबोध कुमार की पुलिस जांच के दौरान ही मौत हो गई थी, जबकि कोर्ट में विचाराधीन के दौरान आरोपी अभिषेक की भी मौत हो गई. हालांकि, कोर्ट में अभी इनका मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल नहीं किया गया है. आरोपी सुशील कुमार फरार है और कोर्ट में 299 की कारवाई चल रही है. इस हत्याकांड में 15 आरोपयों के खिलाफ सोमवार को फैसला सुनाया जाएगा.
जिला शासकीय अधिवक्ता राहुल उपाध्याय ने बताया कि यह मामला सत्र न्यायाधीश पंकज सिंह की अदालत में है और साढ़े तीन बजे फैसला सुनाया जाएगा. अब न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को अलीगढ़ में हुए हत्याकांड के आरोपियों को सजा सुनाई जाएगी. सभी आरोपी शुक्रवार को कोर्ट पहुंचे थे. लेकिन, सोमवार तक सुनवाई को टाल दिया गया. इसके बाद आरोपियों को वापस पुलिस सुरक्षा में जेल भेज दिया गया.
जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष तेजवीर गुड्डू सिंह का आपराधिक इतिहास 30 साल पुराना है. वर्ष 2006 में हुई पूर्व विधायक मलखान सिंह की हत्या में आरोपी गुड्डू पर चार बार एनएसए लगाया जा चुका है. पांच बार गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई भी की गई. इसके अलावा 30 मुकदमे दर्ज हुए थे. इसमें सबसे बड़ा मुकदमा पूर्व विधायक मलखान सिंह की हत्या का है, जो बुलंदशहर की कोर्ट में विचाराधीन है. बुधवार को गैंगस्टर में गिरफ्तार किया गया. उद्योगपति पर हमले के मामले में तेजवीर के दोनों बेटे भी जेल में हैं.
क्वार्सी क्षेत्र के गांव सुखरावली निवासी तेजवीर सिंह गुड्डू के खिलाफ अलीगढ़ के अलावा मथुरा, हाथरस, मैनपुरी, बुलंदशहर व राजस्थान के अलवर थाने में 30 मुकदमे दर्ज हुए थे. पूर्व में चार बार रासुका व पांच बार गैंगस्टर की कार्रवाई हो चुकी है. तेजवीर के अधिवक्ता के मुताबिक, कुल 30 मुकदमों में से 28 में वो दोष मुक्त हो चुके हैं. दो मुकदमे ही लंबित हैं. इनमें एक मुकदमा सिविल लाइंस थाने में 2019 में जमीनी धोखाधड़ी का दर्ज हुआ था.
तेजवीर पर सबसे पहले वर्ष 1991 में हाथरस के हसायन थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. इसी साल मथुरा के हाईवे थाना में हत्या, अलीगढ़ के सिविल लाइन थाने में आर्म्स एक्ट व क्वार्सी थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. 1992 में क्वार्सी थाने में धमकाने व जानलेवा हमला, 93 में क्वार्सी थाने में हत्या, 94 में क्वार्सी थाने में गुंडा एक्ट, 96 में हाथरस के हसायन थाने में जानलेवा हमला, हसायन में ही धोखाधड़ी, 2000 में क्वार्सी थाने में गुंडा एक्ट, सिविल लाइन थाने में एनएसए, 2001 में क्वार्सी में जानलेवा हमला, 2002 में कोतवाली में धारा 144 का उल्लंघन, आर्म्स एक्ट, 2002 में ही गौंडा में धोखाधड़ी के दो मुकदमे दर्ज हुए थे.