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बुलन्दशहर का चावल जाएगा यूएस, किसानों की बढ़ेगी आय

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के अन्नदाता अब यूएस के लिए धान का निर्यात करेंगें. इसके लिए चिन्हित किसानों को सिंगापुर की कंपनी प्रशिक्षण भी दे रही है. इसके साथ ही धान की पैदावार के लिए वर्ल्ड बैंक के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है.

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बुलंदशहर के किसान यूएस में करेंगे चावल का निर्यात

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Published : Dec 22, 2019, 6:16 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले के अन्नदाताओं द्वारा पैदा किए गए धान का निर्यात अब यूएस के लिए भी किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा चिन्हित किसानों को सिंगापुर की एक कंपनी प्रशिक्षण भी दिया है. वर्ल्ड बैंक के जरिये इसमें वित्तीय सहायता और मॉनिटरिंग की जा रही है. यह सार्थक प्रयास किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए यहां स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से किया जा रहा है.

जानकारी देते संवाददाता.

किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित

  • बुलंदशहर स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से सिंगापुर की एक कंपनी किसानों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण दे रही है.
  • किसानों को धान की पैदावार के लिए विशेष तौर से प्रशिक्षित किया जा रहा है.
  • किसान पूसा सुगंध 1,121 और पूसा सुगंध की 4 वैरायटी को अपनी जमीन में उगाएंगे.
  • इस धान में सिर्फ वही उर्वरक डाले जाएंगे, जो कि यूएस में प्रतिबंधित नहीं है.

धान की पैदावार में कीटनाशक नहीं होगा प्रयोग

  • किसान जो कीटनाशकों का उपयोग में करते है उससे पैदावार तो बढ़ती है, लेकिन उसका असर फसल पर पड़ता है और मानव शरीर के लिए भी यह हानिकारक होता है.
  • जिले से जो धान निर्यात होगा, उसके लिए वर्ल्ड बैंक के माध्यम से कार्यक्रम का संप्रेषण, वित्तीय सहायता एवं मॉनिटरिंग की गई है.
  • यह 4 साल का पायलट प्रोजेक्ट है जिसकी शुरुआत इस साल से की गई है.

9 गांवों के किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉक्टर शिव सिंह ने बताया कि किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए यह एक सार्थक प्रयास है. फिलहाल पूसा 1509, पूसा 1121, बासमती-1,जैसी वैरायटी पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा. जो खतरनाक कीटनाशक हैं जैसे- ट्राई साइक्लोजॉन(फफूंदी नाशक) कार्बोफोरम फॉरेट, मिथाइल पेराथियोन इत्यादि ऐसे कीटनाशक इस्तेमाल में नहीं लाये जा सकेंगे. यानी जो यूएस में प्रतिबन्धित हैं, उनका प्रयोग फसल में नहीं किया जाएगा.

इसके लिए टेक्निकल टीम की देखरेख में ही फसल तैयार की जा सकेगी. अभी 200 हेक्टेयर में पैदावार होगी. कुल 9 गांवों के किसानों को अभी प्रशिक्षित किया गया है. भविष्य में इसमें और भी क्षेत्रफल कवर किया जाएगा, इससे जहां अन्नदाता को अधिक मुनाफा होगा तो वहीं विदेश में भी जिले से धान सप्लाई होने से देश को अलग पहचान मिलेगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

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