बुलंदशहर:जिले में डॉक्टरों की लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. डॉक्टरों की लापरवाही कभी-कभी मरीजों को भारी पड़ जाती है और उनकी जान चली जाती है. कुछ साल पहले एक डॉक्टर दंपति यूट्रस के ऑपरेशन के दौरान महिला मरीज के पेट में कैंची भूल गए थे, जिससे मरीज की जान चली गई थी. पीड़ित परिवार ने इसको लेकर जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी. मामले में उपभोक्ता फोरम ने परिजनों को उपचार में खर्च की रकम को ब्याज समेत वापस लौटने का फैसला सुनाया है. साथ ही डीएम, सीएमओ को दोषी डॉक्टर दंपति की प्रैक्टिस रोकने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को लिखने का आदेश दिया है.
मामले की जानकारी देते एडवोकेट. दरअसल, नगर क्षेत्र निवासी डॉ. प्रमिला मित्तल और डॉ. जितेंद्र मित्तल का निजी हॉस्पिटल है. अनूपशहर दिल्ली दरवाजा निवासी अवधेश कुमार की पत्नी गीता नवंबर 2012 में पेट दर्द की शिकायत होने पर दंपति डॉक्टर के अस्पताल पहुंची थीं. पैथोलॉजी में टेस्ट कराने के बाद डॉक्टर दंपति ने गीता का ऑपरेशन करने की सलाह देते हुए ऑपरेशन कर दिया और छह दिन बाद गीता को डिस्चार्ज कर दिया गया.
इतना ही नहीं गीता के ऑपरेशन में लिए गए 30 हजार रुपये व दवाइयों में दिए गए 20 हजार रुपये की कोई रसीद भी नहीं दी गई. ऑपरेशन के बाद भी गीता के पेट में दर्द बना रहा. दर्द से राहत नहीं मिलने पर जनवरी 2013 में गीता को दिल्ली सेंट स्टीफन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक्सरे में खुलासा हुआ कि गीता के पेट में कैंची नुमा यंत्र है, जिसे ऑपरेशन कर निकालना पड़ेगा. सेंट स्टीफन अस्पताल द्वारा गीता का ऑपरेशन कर कैंची निकाली गई. हालांकि कैंची से इंफेक्शन के कारण गीता को अनेक प्रकार की परेशानी होती रही और जून 2020 में गीता की मौत हो गई.
पेट में कैंची से फैले इन्फेक्शन से हुई गीता की मौत के बाद पति अवधेश कुमार ने न्यायालय में डॉ. प्रमिला मित्तल और डॉ. जितेंद्र मित्तल के खिलाफ परिवाद दायर किया. परिवाद पर डॉ. प्रमिला मित्तल और जितेंद्र मित्तल ने उपभोक्ता फोरम के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बुलंदशहर जिला चिकित्सालय, दिल्ली पुलिस और सेंट स्टीफन अस्पताल उनके खिलाफ साजिश कर उन्हें फंसा रहे हैं. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद उपभोक्ता फोरम ने डॉ. प्रमिला मित्तल व जितेंद्र मित्तल को पूर्ण रूप से लापरवाही एवं असावधानी बरतने का दोषी माना. साथ ही डीएम, सीएमओ को दोषी डॉक्टर दंपति की प्रैक्टिस रोकने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को लिखने का आदेश दिया है.