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पद्म श्री से सम्मानित किसान ने कृषि कानून पर किया मोदी सरकार का समर्थन

कृषि कानून के विरोध में पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जैविक खेती करने वाले किसान भरत भूषण त्यागी ने सरकार का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि जो कृषि कानून बनाया गया है, उसका मैं समर्थन करता हूं. यह कानून ठीक है. भरत भूषण को भारत सरकार ने 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया है.

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जैविक खेती करने वाले किसान भरत भूषण त्यागी.

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Published : Dec 12, 2020, 4:21 PM IST

बुलंदशहर : भरत भूषण त्यागी स्याना क्षेत्र के गांव बड्डा वाजिदपुर में रहकर जैविक खेती करते हैं. उनको मोदी सरकार ने 2019 में पद्म श्री अवार्ड से नवाजा है. भरत भूषण त्यागी अपने फार्म पर जैविक खेती करते हैं. उन्होंने जैविक खेती पर पीएचडी भी की है. भरत भूषण त्यागी का कहना है कि जैविक पद्धति से खेती करने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि भूमि की उर्वरा क्षमता को बनाए रखते हुए जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके. साथ ही किसानों को विभिन्न उत्पादों का बेहतर आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो.

पद्म श्री से सम्मानित किसान ने कृषि कानून का किया समर्थन.

लोगों को मिल रहा रोजगार
भरत भूषण त्यागी धनिया, हल्दी, गेहूं, गन्ना, सम्पूर्ण घास, हींग, कृष्णा फल, स्टीविया, सहजन, कालमेघ, सतावर, नींबू, चार तरह की तुलसी जैसी कई अन्य फसल एक सीजन में करते हैं. इसके साथ ही वे आम फसल से हटकर जड़ी बूटी और तरह-तरह की खेती करते हैं, जिनकी दवाइयां बनती हैं और दोगुनी आमदनी भी होती है. साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलता है.

कृषि कानून का किया समर्थन
किसान भरत भूषण त्यागी ने बताया कि मोदी सरकार ने जो कृषि कानून बनाया है, वह बिल्कुल ठीक है और मैं उसका समर्थन करता हूं. मगर कानून में जो थोड़ी बहुत कमी है, वह संशोधन से दूर हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि जो किसान धरना प्रदर्शन पर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं, वे बातचीत से भी उसका हल निकाल सकते हैं. मैं अपनी खेती से 2 गुना कमाता हूं और बिचौलियों को अपने पास तक नहीं आने देता.

जैविक खेती करने वाले किसानों को दिया जाए प्रशिक्षण
भरत भूषण त्यागी ने बताया कि जैविक पद्धति से खेती करने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि भूमि की उर्वरा क्षमता को बनाए रखते हुए जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके. साथ ही किसानों को विभिन्न उत्पादों का बेहतर आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो.

जैविक खेती से होने वाले लाभ

  • भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि.
  • सिंचाई अंतराल में वृद्धि.
  • रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी.
  • फसलों की उत्पादकता में वृद्धि.
  • बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में वृद्धि.

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