बुलंदशहर: महंगाई की मार से कुछ भी अछूता नहीं है, अब वाहनों के वीआईपी नम्बर्स भी लोगों को नहीं लुभा पा रहा है. वीआईपी श्रेणी के करीब 250 नम्बर अलग-अलग सेगमेंट में शामिल है. पहले लोगों में अपने वाहन के लिए क्रेज था, वहीं महंगाई के बाद ये क्रेज भी घटा गया है.
गायब हो रहा है वीआईपी कल्चर
वीआईपी 250 ऐसे नम्बर्स है जो अलग-अलग सेगमेंट में शामिल हैं. दोपहिया वाहनों के लिए कम से कम 15 हजार रुपये इस सीरीज के नम्बर्स के लिए खर्च करना अनिवार्य हो गया है. ईटीवी भारत ने इस विषय पर जांच-पड़ताल भी की. विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने वीआईपी कल्चर संभागीय परिवहन विभाग से गायब होता दिखाई दिया.
अगर बुलन्दशहर की बात की जाए तो क्षेत्रीय उपसंभागीय परिवहन विभाग को वीआईपी कल्चर गायब होने से घाटा भी बढ़ा है. पिछले साल के मुकाबले चार पहिया वाहन मालिक वीआईपी कल्चर से दूर होते दिख रहे हैं, तो वहीं दुपहिया वाहन चालक भी वीआईपी कल्चर से दूर होते दिखाई दिए.
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