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बुलंदशहर की बेटी नम्रता का पहले प्रयास में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन, छात्रों को दिया ये संदेश

बुलंदशहर की बेटी नम्रता सिंह ने अपने जिले का नाम रौशन किया है. पहले प्रयास में नम्रता का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुा है. नम्रता सिंह ने यूपी पीसीएस 2022 में तीसरा स्थान प्राप्त किया है.

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यूपी पीसीएस टॉपर नम्रता सिंह

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Published : Apr 8, 2023, 5:48 PM IST

असफलता से कभी भी निराश नहीं होना चाहिए.

बुलंदशहरःउत्तर प्रदेश प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से शुक्रवार को यूपी पीसीएस 2022 का फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया. 383 पदों के लिए हुई परीक्षा में 364 पदों पर अभ्यार्थीयों को चयनित घोषित किया गया है. अंतिम परिणाम में बुलंदशहर की नम्रता सिंह ने तीसरा स्थान हासिल कर टॉप टेन में अपनी जगह बनायी है. नम्रता का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है.पूरे बुलंदशहर में खुशी की लहर है. दोनों बेटियों ने जिले का नाम गौरवान्वित किया है.

देर रात तक बधाई देने वालों की लगी रही भीड़
अनूपशहर के नेहरूगंज कॉलोनी निवासी नम्रता सिंह ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. नम्रता की इस उपलब्धि से परिवार में जश्न का माहौल है. आसपास के लोग देर रात तक घर पर बधाई देने के लिए पहुंचते रहे. वहीं, परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया. नम्रता सिंह ने बताया कि उसका सपना आईएएस बनने का है.

डिप्टी कलेक्टर हैं पिता और प्रोफेसर हैं मां
नम्रता मूल रूप से डिवाई तहसील क्षेत्र के सतोही की रहने वाली है. वर्तमान में वह अनूपशहर की नेहरूगंज कॉलोनी में रहती है. वहीं, नम्रता सिंह के पिता डॉ. सुरेश सिंह ग्राम विकास विभाग में डिप्टी कलेक्टर के पद पर इटावा में तैनात हैं. नम्रता सिंह की मां प्रोफेसर चंद्रावती अनूपशहर के दुर्गा प्रसाद बलजीत सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रसायन विज्ञान की विभागीय अध्यक्ष के पद पर तैनात हैं. नम्रता सिंह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी है. दो बड़े भाई पढ़ाई कर रहे हैं. नम्रता अनूपशहर जेपी विद्या मंदिर से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की है.

कक्षा 12 में किया था जिला टॉप
यूपीपीसीएस टॉपर नम्रता सिंह ने 2015 में सीबीएसई 12वीं में जिला टॉप किया था. इसके बाद एनआईटी दिल्ली से 2019 में बीटेक किया, तभी से वह सिविल की तैयारी कर रही हैं. नम्रता ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन तैयारी की थी. 2011 में वह यूपीएससी इंटरव्यू तक पहुंच गई थी. उनका सपना आईएएस बनने का है. यह उसका पहला परिणाम है. वहीं, नम्रता का कहना है कि सारी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को जाता है.

7 से 8 घंटे करती थी पढ़ाई
नम्रता ने बताया कि वह प्रत्येक दिन 7 से 8 घंटे पढ़ाई के लिए निकालती हैं. इसके अलावा वह नियमित खेल के लिए भी समय निकालती हैं. उन्होंने बताया कि हैंडबॉल और बैडमिंटन खेलना उनका शौक है. हैंडबॉल में नेशनल स्कूल खेली हैं. युवाओं को संदेश दिया है कि 'असफलता से कभी भी निराश नहीं होना चाहिए, यदि मन लगाकर पढ़ाई करेंगे तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है'. पढ़ाई के साथ खेल भी जीवन के लिए आवश्यक है, क्योंकि खेल से शरीर और मन दोनों को स्वास्थ्य रहता है. इसलिए पढ़ाई के साथ थोड़ा खेल पर भी ध्यान देना चाहिए.

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