बुलंदशहर: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के परिसर में केंद्र सरकार ने मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस (Ministry of Earth Sciences) की ओर से मौसम वेधशाला का शुभारंभ किया गया. केंद्र सरकार ने जिले को मौसम वेधशाला की सौगात दी है. लाखों रुपए की लागत से यह मौसम वेधशाला बनायी गयी है. यहां हर 15 मिनट में मौसम की जानकारियां रिकॉर्ड की जाएंगी.
मौसम वेधशाला का शुभारंभ, अब किसानों को मोबाइल पर मिलेंगी सटीक जानकारियां
बुलंदशहर में मौसम वेधशाला का शुभारंभ हुआ. इससे किसानों को उनके मोबाइल पर वर्षा, तापमान, आद्रता, सूर्योदय, सूर्यास्त, वायु तीव्रता, वायु की दिशा, चक्रवात, आंधी और आकाशीय बिजली के बारे में पहले ही जानकारी मिल जाएगी.
भूमंडल और वायुमंडल के बीच होने वाली गतिविधियों का संकलन करने और मौसम की सटीक जानकारियां प्राप्त करने के लिए प्रत्येक जिले में मौसम वेधशाला का निर्माण किया जा रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस (MoES) की सानिध्य में सदर तहसील में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की जमीन पर मौसम वेधशाला शुरू की गई. मौसम की सटीक जानकारियां पहले मिलने के कारण किसानों की फसल बर्बाद नहीं होंगी. उनको बचाव के लिए समय भी मिलेगा. इससे वो अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकेंगे.
वायुमंडल के 27 घटकों का पूर्व अनुमान जिले के लोगों को हो सकेगा. मौसम विभाग अभी तक लखनऊ के अनुसार किसानों को मौसम की सूचना दे रहा था. जिलों में मौसम वेधशाला के निर्माण के बाद किसानों को उनके मोबाइल पर बारिश, तापमान, आद्रता, सूर्योदय, सूर्यास्त वायु तीव्रता, वायु की दिशा, चक्रवात, आंधी और आकाशीय बिजली के बारे में पहले ही जानकारी मिल जाएगी.
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मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाता है. उपग्रहों के जरिए अलग-अलग समय में बादलों की स्थिति के आधार पर हवा और बादलों की गति तथा वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान और आर्द्रता के बारे में पता लगाया जाता है. मौसम पूर्वानुमान के आरंभिक चरण में मौसम के आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं. भूमि की सतह के साथ ही विश्वभर में दिन में दो बार छोड़े जाने वाले गुब्बारों की मदद से वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, दाब, आर्द्रता और हवा की गति संबंधी आंकड़े प्राप्त किए जाते हैं.
मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाता है. उपग्रहों के जरिए अलग-अलग समय में बादलों की स्थिति के आधार पर हवा और बादलों की गति तथा वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान और आर्द्रता के बारे में पता लगाया जाता है. मौसम पूर्वानुमान में डॉप्लर रडार का भी उपयोग होता है. डॉप्लर रडार में डॉप्लर प्रभाव को आधार बनाकर हवा की गति मापी जाती है. वैज्ञानिकों ने डॉप्लर रडार के माध्यम से टॉरनेडो और हरिकेन जैसे तूफान के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त की थी. वर्तमान में सभी मौसम पूर्वानुमान कंप्यूटर पर आधारित वायुमंडल के संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं.