बुलंदशहर: नाबालिग बेटियों की गवाही और तमाम साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश ने पत्नी के हत्यारे पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोषी पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.
यह है मामला
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव मलिक ने बताया कि कोतवाली थाना क्षेत्र के देवीपुरा निवासी ओमवती देवी ने 21 जून 2016 को नगर कोतवाली के कोठियात मोहल्ला निवासी अपने दामाद मनोज पर बेटी अनु बंसल की जलाकर हत्या करने का मुकदमा दर्ज कराया था. रिपोर्ट में ओमवती देवी ने बताया था कि बेटी अनु की वर्ष 2000 में मनोज से शादी की थी. अनु ने दो बेटियों को जन्म दिया था. बेटा नहीं होने से मनोज ने अनु को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था.
वहीं, मनोज ने 14 जून, 2016 को अनु पर मिट्टी का तेल छिड़ककर जिंदा जला दिया था. दिल्ली के अस्पताल में एक सप्ताह तक चले उपचार के बाद अनु ने दम तोड़ दिया. उस समय अनु की बड़ी बेटी लतिका की उम्र 11 वर्ष और छोटी बेटी तान्या की उम्र 8 वर्ष थी. अपर सत्र न्यायालय छह के न्यायधीश विवेक कुमार ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने व मौजूद साक्ष्यों के आधार पर मनोज को हत्या का दोषी पाया. अदालत ने दोषी मनोज को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आरोपित पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
जानकारी देते सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव मलिक. बेटियों ने दिलाया मां को इंसाफ
मृतका की दोनों नाबालिग बेटियां इस मुकदमे में गवाह थीं. दोनों ने नानी के साथ अपनी मां को इंसाफ दिलाने के लिए 6 साल तक लड़ाई लड़ी. दोनों आरोपी पिता के खिलाफ अदालत में चट्टान की तरह खड़ी रहीं. अंत में बेटियां अपनी मां को इंसाफ दिलाने में सफल रहीं. गौरतलब है कि मृतका की दोनों नाबालिग बेटियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को खून से लिखा पत्र भेजकर अपनी मां को इंसाफ दिलाने की मांग की थी.
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