बुलंदशहर: जिले की सदर सीट पर होने वाले उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने हाजी यूनुस को अपना उम्मीदवार बनाया है. हाजी यूनुस की बुलंदशहर सदर सीट पर अच्छी खासी पहचान है. हाजी यूनुस दस साल तक बुलंदशहर सदर सीट पर लगातार विधायक रहे हाजी अलीम के भाई हैं. बीएसपी प्रत्याशी का मानना है कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में सब भाई-भाई के सिद्धांत के साथ वह जनता के बीच पहुंच रहे हैं. सरकार की नीतियों का हर मोर्चे पर विरोध करते हुए वह किसानों और व्यापारियों के उत्पीड़न के मुद्दे समेत विकास के मुद्दे पर जनता के बीच पहुंचकर अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं.
बुलंदशहर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए 18 उम्मीदवार मैदान में अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसके बावजूद 5 प्रत्याशी प्रमुख रूप से यहां चुनावी मैदान में हैं. इनमें भाजपा, रालोद-सपा गठबंधन, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रमुख तौर पर मैदान में हैं.
मजबूत दावेदार हैं हाजी यूनुस
पिछले काफी समय से प्रदेश में सत्ता से दूर चल रही बहुजन समाज पार्टी का इस कार्य अवधि से पहले दस साल तक बुलंदशहर सदर सीट पर कब्जा रहा है. बुलंदशहर सदर सीट से दस साल तक हाजी अलीम विधायक रहे थे. वर्तमान में दिवंगत विधायक हाजी अलीम के भाई हाजी यूनुस पर बहुजन समाज पार्टी ने उपचुनाव में अपना केंडिडेट बनाकर भरोसा जताया है.
बुलंदशहर के वर्तमान ब्लॉक प्रमुख हैं बीएसपी उम्मीदवार
बुलंदशहर में होने वाले उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी की तरफ से प्रत्याशी बनाए गए हाजी यूनुस वर्तमान में बुलंदशहर के ब्लॉक प्रमुख भी हैं. दरअसल, हाजी यूनुस के बड़े भाई हाजी अलीम का बुलंदशहर की राजनीति में बड़ा कद रहा है. वह बीएसपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे. पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही हाजी अलीम हार गए थे, लेकिन उनका मत प्रतिशत कम नहीं हुआ था.
हाजी यूनुस के साथ सहानुभूति वोट
हाजी अलीम के निधन के बाद हाजी यूनुस चुनावी मैदान में हैं और मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं. हाजी यूनुस ने बताया कि यह शहर उनके परिवार को बहुत चाहता है. उनका कहना है कि पिछले साढ़े तीन साल में बुलंदशहर का विकास थम गया. वह कहते हैं उनके मरहूम भाई हाजी अलीम ने दस साल तक विधायक रहने के दौरान बुलंदशहर की दिशा-दशा को सुधारा था, लेकिन अब हालात दूसरे हैं. जनता ने मौका दिया तो बुलंदशहर का चहुंमुखी विकास किया जाएगा.