बुलंदशहर:स्याना हिंसा मामले में अब तक 44 आरोपी जिला कारागार में निरुद्ध हैं. जून में सभी पर शासन की अनुमति के बाद राजद्रोह लगा दिया गया था. वहीं अखिल भारतीय जाट महासभा ने इस मामले में सीएम और राज्यपाल से मिलकर अब इस धारा को हटाने की मांग करेगी. जाट समाज के लोगों ने इस धारा को हटाने के लिए सीएम को प्रतिदिन पत्र प्रेषित करने का भी संकल्प लिया है.
बुलंदशहर हिंसा: जेल में बंद सभी आरोपियों पर से राजद्रोह हटाने की उठी मांग
बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसक झड़प के मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया गया था. वहीं अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे दाग बताते हुए इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
क्या है मामला
⦁ अखिल भारतीय जाट महासभा अब स्याना हिंसा के आरोपियों के समर्थन में उतर गई है.
⦁ जाट महासभा ने एलान किया है कि राजद्रोह के मुकदमे को वापस लेने के लिए संगठन मुख्यमंत्री से मिलेगा.
⦁ अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप चौधरी ने कहा कि राजद्रोह की धारा से लगे दाग से सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है.
⦁ उन्होंने सरकार से अपील की कि सरकर पूरे विवेक से इस मामले पर गौर करे.
⦁ प्रदेश अध्यक्ष ने मामले की सीबीआई जांच करने की मांग भी की.
पहले का मामला
⦁ स्याना हिंसा मामले में सभी 44 आरोपियों पर पिछले महीने सीजेएम अमरजीत सिंह ने राजद्रोह का मुकदमा चलाने को हरी झंडी दे दी थी.
⦁ बता दें कि स्याना हिंसा में 27 लोग नामजद, जबकि 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात मुकदमा पंजीकृत हैं.
⦁ एसआईटी की ओर से आरोपियों पर उस समय 124A यानी राजद्रोह जैसी संगीन धाराएं भी लगाई थीं.
⦁ आरोपियों के अधिवक्ताओं ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराया और कोर्ट में दलील दी.
⦁ अधिवक्ताओं की दलील थी कि शासन की अनुमति के बिना राजद्रोह का मुकदमा नहीं बनता.
⦁ वहीं शासन की अनुमति के बाद जेल में निरुद्ध सभी आरोपियों पर 29 जून को राजद्रोह लगा दिया था.