बुलंदशहर : सलेमपुर के नासिरपुर भैंसरोली गांव की 150 गज की जमीन और ईंट भट्ठे के विवाद में अब तक नौ लोगों का कत्ल हो चुका है. 31 साल पुरानी इस रंजिश के चलते 30 अक्टूबर को इसी रंजिश में आईबी के पूर्व हेड कांस्टेबल को भी गोलियों से भून दिया गया था. एक-दूसरे की जान लेने पर आमादा दोनों पक्ष कई सालों से खून बहाते चले आ रहे हैं. पुलिस पूर्व आईबी कर्मी की हत्या में दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है. पूछताछ में हत्यारोपियों ने कबूला कि पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने यह वारदात अंजाम दी. उन्होंने पुलिस को और भी कई चौंकाने वाली जानकारियां दी. रंजिश कब से चल रही है, विवाद क्या है, खूनी खेल की शुरुआत कब हुई थी, इन सभी बिंदुओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम उस गांव में पहुंची जहां से बदले की आग भड़की थी. पढ़िए रिपोर्ट...
150 गज की जमीन के लिए बहाया कई का खून :नासिरपुर भैंसरोली निवासी रामभूल आईबी में हेड कांस्टेबल थे. वह रिटायर हो चुके थे. 30 अक्टूबर को गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी गई थी. ईटीवी भारत की टीम नासिरपुर भैंसरोली पहुंची. गांव के लोगों ने बताया कि रामभूल मूल रूप से जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के गांव रोंडा के निवासी थे. उनकी मां सलेमपुर थाना क्षेत्र के गांव नासिरपुर भैंसरोली की रहने वाली थीं. उनके कोई भाई नहीं थे. इसकी वजह से रामभूल के पिता रिसाल सिंह साल 1978 में ससुराल में ही आकर रहने लगे. रिसाल सिंह करीब 110 बीघा जमीन के मालिक थे. उनका ससुराल पक्ष के बिजेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह से 150 गज जमीन और एक ईंट भट्ठे को लेकर विवाद चल रहा था. इसी विवाद में साल 1986 में रिसाल के बेटे रामभूल पर फायरिंग कर दी गई थी. इससे वह बच गए थे.
साल 1992 में रामभूल के तीन भाइयों और पिता की हुई थी हत्या :गांव के लोगों ने बताया कि 1991 रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल, 1992 में भाई रतनपाल और सतपाल सिंह, पिता रिसाल सिंह की गोली बरसाकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना में दूसरे पक्ष के बिरेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह, विरेंद्र सिंह पुत्र साेहनपाल, सुनील सिंह पुत्र बिजेंद्र सिंह, कुंवरपाल सिंह पुत्र चेतराम सिंह और सतपाल सिंह पुत्र हरवीर सिंह सहित पांच लोगों को आजीवन कारावास हुई थी. इनमें से विरेंद्र सिंह की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य 2021 में आजीवन कारावास की सजा काटकर जेल से बाहर आ गए थे. इसके बाद गांव छोड़कर अन्य जनपदों में जाकर रहने लगे.
दूसरे पक्ष के भी 4 लोग भी मार डाले गए :साल 1993 में बिजेंद्र सिंह पक्ष के भी दो लोगों की हत्या कर दी गई थी. आरोप रामभूल पक्ष पर लगा था. मामले में रामभूल को पुलिस ने जेल भेजा था. रंजिश के चलते दोनों परिवार गांव छोड़कर बुलंदशहर, नोएडा और गाजियाबाद में रहने लगे थे. उनके घर खंडहर हो चुके हैं. रामभूल यदा-कदा खेती करने आते थे. मौजूदा समय में रामभूल रौंडा गांव में रह रहे थे, जबकि दूसरे पक्ष के लोग नासिरपुर भैंसरोली रह रहे हैं. रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल के मर्डर के बाद उनकी पत्नी मुनेश को ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान बनाया था. बिजेंद्र सिंह पक्ष से बिजेंद्र सिंह, महेंद्र, कृपाल, करनवीर की हत्या की गई थी. जमीन के विवाद में अब तक नौ लोगों का खून बह चुका है. नौवां कत्ल रामभूल का किया गया. जिस जमीन के लिए दोनों पक्षों का विवाद है, वह भी अब बंजर हो चुकी है.
जान बचाकर कई सालों तक छिपता रहा रामभूल :ग्रामीणों ने बताया कि गांव छोड़ने के बाद दोनों पक्षों के कुछ लोग संभल में रहे थे. सात साल बाद वे यहां से भी चले गए थे. इसके बाद रामभूल दिल्ली में रहने लगे. वह 16 वर्षों तक वहां रहे. दूसरे पक्ष ने वहां उनकी घेराबंदी की तो वह अपने बहनाई के यहां मथुरा चले गए. बाद में रौंडा गांव आकर रहने लगे. ग्रामीणों के मुताबिक रामभूल हमेशा डरा सहमा रहता था, वह अकेला था, उसे खुद की जान की फिक्र सताती थी. वह अपने पास रायफल भी रखा करता था.