बुलंदशहर:यूपी की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. उससे ठीक पहले बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव को लेकर प्रत्याशियों ने प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है, लेकिन बुलंदशहर के डीएम कॉलोनी के समीप देवीपुरा इलाके के नागरिकों ने अब चुनाव बहिष्कार की घोषणा करते हुए जिला प्रशासन को भी अल्टीमेटम दे दिया है. नागरिकों ने बकायदा फ्लेक्स भी यहां बनवाकर लगवाया है.
कॉलोनीवासियों की मांग है कि अगर उनकी समस्या व मांग की तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो वह लोग पीछे नहीं हटेंगे, बल्कि चुनाव का पूर्णतया बहिष्कार कर देंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी 7 गलियां हैं जिन के रास्ते डीएम कॉलोनी से होकर मेन मार्केट की तरफ निकलते थे, लेकिन पूर्व में तैनात जिलाधिकारियों के रवैये की वजह से यहां के आम लोग परेशान हैं. गौर करने वाली बात यह है कि जहां पहले लोग पैदल भी डीएम कॉलोनी से निकल सकते थे. वहीं तत्कालीन डीएम के आदेश के बाद सभी रास्तों को भी बंद कर दिया गया था. स्थानीय लोगों में खासा गुस्सा नजर आ रहा है. इतना ही नहीं देवीपुरा इलाके में स्थानीय लोगों ने फ्लेक्स भी टांग दिए हैं, जिन पर लिखा गया है कि रास्ता नहीं तो वोट नहीं.
दरअसल विरोध कर रहे नगर के डीएम आवास कॉलोनी के समीपवर्ती निवास करने वाले लोगों का रास्ता पहले सीधे डीएम कॉलोनी से होकर निकलता था, जिससे यहां के रहने वाले लोगों को शहर के मेन बाजार तक जाने में आसानी होती थी. लेकिन अधिकारियों ने डीएम कॉलोनी की ओर जाने वाले रास्ते को कुछ वर्ष पूर्व बंद कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें आने-जाने के लिए अब दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस बारे में हमने कई स्थानीय नागरिकों से जानकारी की. उन्होंने बताया कि 2 से ढाई किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ता है. देवीपुरा में रहने वाले जितेंद्र का कहना है कि बार बार अनुरोध किया गया क्योंकि जबसे ये क्षेत्र अस्तित्व में आया डीएम कॉलोनी से ही रास्ता था. मगर न जनप्रतिनिधी बंद होने के बाद रास्ता खुलवा सके और न ही किसी सरकारी नुमाइंदे को उनकी परेशानी से कोई मतलब है. इसी वजह से फैसला किया है कि रास्ता नहीं तो वोट नहीं.
रास्ता नहीं तो वोट नहीं
मतदान बहिष्कार करने की वजह गिनाते हुए कॉलोनी के अनिल कुमार का कहना है कि 2 साल पहले तक यहां रास्ता था, उसके बाद बंद करवा दिया गया. सांसद ने भी यहां आकर रास्ते की दीवार को तोड़कर नागरिकों के लिए रास्ता खुलवाया था, लेकिन उसके बाद तो प्रशासन ने पैदल निकलने के लिए छोड़ा रास्ता भी बंद करवा दिया. उस समय डीएम अनुज कुमार झा थे. हमने उनसे वजह भी जानी की चुनावों से ठीक पहले ही अब रास्ते को लेकर लोग क्यों गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि अब जनप्रतिनिधि क्षेत्र में दिखेंगे नेता भी क्षेत्र में दिखेंगे, क्योंकि चुनाव के बाद से सिर्फ यही समय होता है जब राजनीति करने वाले लोग क्षेत्र में दिखाई पड़ते हैं तो उनके पास भी मौका है अपनी एकजुटता औऱ ताकत का एहसास कराने का. वे लोग मन बना चुके हैं कि जब-जब कोई भी नुमाइंदा उनके पास वोट मांगने आएगा तो सबसे पहले वह अपनी यही बात उनके समक्ष रख देंगे, अगर रास्ता नहीं तो वोट नहीं.
डीएम और सांसद में ठनी तो नहीं खुला रास्ता
देवीपुरा के रहने वाले राजेंद्र कुमार कहते हैं कि कई बार तो बीमार बुजुर्गों और बच्चों को खासी दिक्कतें होती हैं. उन्होंने बताया कि जहां पहले आसानी से सभी लोग मुख्य चौराहे की तरफ डीएम कॉलोनी से कुछ ही समय में पहुंच जाते थे. वहीं अब लोगों को बाजार जाने के लिए भी ढाई किलोमीटर घूम कर जाना होता है. देवीपुरा में ही रह रहे और उपचुनाव में वोट का बहिष्कार करने का समर्थन कर चुके गजराज सिंह का कहना है कि यह रास्ता कोई कुछ समय से नहीं था. उन्होंने कहा कि करीब 35 से 40 सालों से लोग डीएम कॉलोनी का इस्तेमाल शहर में जाने के लिए करते थे, लेकिन डीएम और स्थानीय सांसद में क्या ठनी कॉलोनीवासियों के लिए दिक्कत खड़ी हो गयी.
क्या है असल कहानी...
आखिर क्यों बंद हुए थे रास्ते इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है. दरअसल पूर्व में जिले में रोशन जैकब नाम की जिलाधिकारी तैनात थीं. उस दौरान जिलाधिकारी आवास के इर्द-गिर्द रहने वाले अफसरों की महिलाओं के साथ कई बार चैन स्नैचिंग व बदसलूकी जैसी घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद तत्कालीन डीएम रोशन जैकब ने इन सभी रास्तों को बंद करा दिया था. हालांकि पैदल चलने वालों को घुमावदार रास्ते बनाकर खोल दिए थे ताकि कोई साइकिल सवार भी न निकल पाए, जो कि डीएम आवास की तरफ से गुजरते थे. उसके बाद से ही लगातार मांग चली आ रही है कि रास्ते न खोले जाएं, लेकिन करीब 2 साल पहले फिर एक बार मामला यहां गरमा गया था उस वक्त जिले के सांसद भोला सिंह ने अपने समर्थकों के साथ डीएम कॉलोनी की दीवार को गिरा दिया था. बाद में जिले में इस मुद्दे पर काफी हाईवोल्टेज ड्रामा भी हुआ, लेकिन स्थानीय नागरिकों को जिला प्रशासन की मर्जी के आगे झुकना पड़ गया था. डीएम ने तब पूरी तरह से ही इन रास्तों को तत्काल बंद करा दिया था. उस वक्त करीब 2 साल पहले यह मामला खूब सुर्खियों में रहा एक प्रतिनिधिमंडल भी सांसद और विधायकों का बुलंदशहर आया और इन रास्तों को देख कर गया, लेकिन उसके बावजूद भी हुआ कुछ नहीं, जिलाधिकारी का पलड़ा ही जनप्रतिनिधियों पर भारी रहा।
बोर्ड लगाकर दी चेतावनी
उपचुनाव के दौरान रास्ते की मांग को लेकर अब फिर एक बार स्थानीय जनों ने इस मुद्दे को हवा देते हुए सड़कों पर बने बिजली के पोल पर बोर्ड टांग कर अपना विरोध जताया है. इस बार चुनाव के बहिष्कार का एलान स्थानीय लोगों के द्वारा किया गया है, वहीं दूसरी तरफ जो गौर करने वाली बात है, वह यही है कि चुनाव के बहिष्कार का फैसला ले चुके देवीपुरा मोहल्ले के लोगों की सुध लेने अभी तक कोई नहीं पहुंचा है, जिससे लोगों ने चेतावनी दी है कि जब भी कोई उस क्षेत्र में वोट मांगने के लिए पहुंचेगा, तो पहले उसे वहां के लोगों के गुस्से से दो चार होना पड़ेगा.
गौर करने वाली बात यह है कि जिले में विधायक से लेकर सांसद तक सत्ताधारी पार्टी के रहे हैं. उसके बाद भी जिला प्रशासन से इस रास्ते को एक बार बंद होने के बाद वह नहीं खुलवा सके हैं. इतना ही नहीं नगर पालिका के चेयरमैन तक भी बीजेपी से ही ताल्लुक रखते हैं, वहीं अब स्थानीय लोग इस मुद्दे को गर्माने में लगे हैं। मोहित चुनाव बहिष्कार की घोषणा के बाद से अभी तक भी जिले का कोई प्रतिनिधि और अधिकारी उनके बीच नहीं पहुंचा है.