बुलंदशहर :जनपद बुलंदशहर के अगौता, बीबीनगर, ऊंचागांव, जहांगीराबाद, फैमिली, पुठा में लगातार दुधारू पशुओं की मौत होने से पशुपालकों में हड़कंप मच गया है. इसके चलते प्रशासन ने सभी पशु डॉक्टरों व मुख्य पशु अधिकारी, सहायक पशु अधिकारी को अलर्ट कर दिया है. इसी क्रम में इन अधिकारियों और डाॅक्टरों ने ब्लॉकों के सभी गांवों और घरों में जाकर 180 पशुओं की जांच की.
पशु डॉक्टरों ने बीमार पशुओं का इलाज शुरू कर दिया है. पशु चिकित्सा अधिकारी ने पशु पालकों को निर्देश दिया कि न तो कोई पशु गांव से बाहर जाएगा और न गांव में अंदर आएगा. ऐसा करने से बाहर से आने और जाने वाले पशुओं के द्वारा आने वाली बीमारियां नहीं होंगी.
गांव में पशुओं को टीके लगाने का भी क्रम तेज कर दिया गया है. वहीं बीमार पशुओं का इलाज भी जारी है जिससे अब पशु पालकों ने राहत की सांस ली है. बता दें कि जनपद बुलंदशहर के अगौता, बीबीनगर, ऊंचागांव, जहांगीराबाद, फैमिली, पुठा में लगातार दुधारू पशुओं की मौत होने से पशुपालकों में हड़कंप मच गया.
खुरपका और मुंहपका बीमारी बन रही मौत का कारण
बरसात के मौसम में खुरपका और मुंहपका बीमारी पशुओं में तेजी से फैलती है. विषाणु जनित यह रोग आसानी से एक पशु से दूसरे में पहुंच जाता है. उपचार न मिलने पर पशु की मौत भी हो जाती है. जागरूकता और कुछ सावधानियां बरत कर किसान या पशुपालक अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं.
इस बीमारी को खरेडू, मुंहपका, खुरपका, चपका, खुरपा आदि नाम से भी जाना जाता है. यह संक्रामक बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट, सुअर आदि में होती है. विदेशी व संकर नस्ल की गायों में यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है. दुधारू पशुओं में दूध कम हो जाता है. बैल काफी समय तक काम करने लायक नहीं रहते. इस बीमारी के विषाणु (वायरस) कई प्रकार के होते हैं.
इनमें प्रमुख ओएसी एशिया-1, एशिया-2, एशिया-3, सैट-1, सैट-3 आदि में इनकी 14 उप किस्में शामिल हैं. हमारे देश में यह रोग मुख्यत: ओएसी और एशिया-1 प्रकार के विषाणुओं से होता है. वातावरण में नमी रहने पर विषाणु चार माह तक जीवित रह सकते हैं. गर्मी के मौसम में यह बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं. पशु के रक्त में पहुंचने के बाद ये विषाणु करीब पांच दिनों में बीमारी के लक्षण उत्पन्न करते हैं.
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