बुलंदशहरःपिछले दो दिन से जनपद देशभर की खबरों में छाया हुआ है, वजह है 30 साल पुरानी रंजिश के चलते धनौरा गांव में हथियारबंद आधा दर्जन लोगों ने एक ही परिवार के लोगों पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में परिवार के मुखिया समेत बेटे को गोली लगी. वहीं परिवार की सुरक्षा में तैनात गनर भी तीन गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया. घटनाक्रम में अंधाधुंध फायरिंग में मुखिया के बेटे की सिर में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं खुद परिवार का मुखिया धर्मपाल जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. पूरे मामले में अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं लेकिन एसएसपी का कहना है कि आरोपियों की शिनाख्त कर ली गई है. जल्द ही गिरफ्तारी भी की जाएगी.
परिवार पर बरसाईं ताबड़तोड़ गोलियां
थाना ककोड़ क्षेत्र के गांव धनौरा में रविवार सुबह खेत से लौटते समय धर्मपाल पर आधा दर्जन हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. गांव धनौरा निवासी धर्मपाल सुबह परिवार के साथ खेत पर अपनी गाड़ी से जानवरों के लिए चारा लेने गए थे. धर्मपाल की अपने ही गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह के परिवार के साथ पिछले काफी समय से रंजिश चली आ रही है. जिसके चलते रविवार को बाइक और गाड़ी सवार हथियार से लैस बदमाशों ने धर्मपाल के परिवार पर हमला कर दिया.
परिवार की सुरक्षा में लगा है गनर
हमले के दौरान धर्मपाल के साथ बुलंदशहर पुलिस द्वारा दिया गया गनर भी मौजूद था. अचानक हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में धर्मपाल और परिजनों को संभलने का मौका नहीं मिला. फायरिंग में गनर समेत धर्मपाल के परिजन गोली लगने से घायल हो गए. गाड़ी चला रहे धर्मपाल के बेटे संदीप के सिर में गोली लगी, जिससे संदीप की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं गनर भी तीन गोली लगने से घायल हो गया.
30 साल पीछे जाकर समझ आएगी वारदात
हालांकि इस घटना के दौरान काउंटर फायरिंग में धर्मपाल और गनर के द्वारा बदमाशों पर भी चार राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई, लेकिन बदमाश भागने में सफल रहे. धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. यह वारदात 21 मार्च 2021 की है लेकिन इसे समझने के लिए आपको अब से 30 साल पहले चलना होगा जब इस रंजिश की इबारत लिखी गई थी.
30 साल पहले होली के दिन शुरू हुई थी खूनी रंजिश
दरसल, 1990 में होली का दिन था और गांव धनौरा के ग्रामीण होली के रंग में सराबोर थे लेकिन किसी को क्या पता था कि आज गांव में रंगों की होली नहीं बल्कि खून की होली खेली जानी है. होली खेलने के दौरान दो राजेंद्र सिंह और कालीचरण पक्ष के बीच किसी बात को लेकर आपसी विवाद हो गया. विवाद होने पर गांव में दोनों पक्षों को बड़े बुजुर्ग समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अचानक बैठक के दौरान ही दोनों पक्ष एक दूसरे पर आग बबूला हो गए. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया.
दोनों पक्षों के सात लोगों की हुई थी मौत
आमने-सामने के हमले में जहां कालीचरण पक्ष के चार लोग गोली लगने से मौत की नींद सो गए, वहीं राजेंद्र पक्ष के भी तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. ग्रामीणों को लगा कि इतनी बड़ी वारदात के बाद शायद दोनों पक्ष खामोश बैठ जाएंगे लेकिन इस पूरी वारदात में कालीचरण पक्ष के जिन लोगों पर हत्या करने का आरोप लगा था वह लोग सुराग न मिलने की वजह से जमानत पर छूट गए और दूसरे पक्ष राजेंद्र सिंह के पांच लोग आज भी 1990 हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास काट रहे हैं.
साल दर साल चलीं गोलियां
इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए राजेंद्र सिंह पक्ष ने कालीचरण पक्ष के अगम की हत्या कर दी थी, इस हत्या का बदला लेने के लिए 1998 में कालीचरण पक्ष ने राजेंद्र सिंह पक्ष के इंद्रपाल को मौत के घाट उतार दिया. रंजिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और यह वारदात आगे बढ़ी और 3 जनवरी 2005 को राजेंद्र सिंह के भाई जयप्रकाश की कालीचरण पक्ष के लोगों ने हत्या कर दी. मात्र 14 दिन बाद राजेंद्र सिंह ने अपने भाई की हत्या का बदला लेते हुए 17 जनवरी 2005 को कालीचरण की पत्नी श्रृंगारी देवी को मौत के घाट उतार दिया था.