बस्ती:देश आगे बढ़ रहा है, देश का विकास हो रहा है, लेकिन आज भी बस्ती जिले के कुछ लोग लकड़ी के पुल से जान हथेली पर रखकर जाने को मजबूर हैं. न तो यहां के जनप्रतिनिधि ने इन ग्रामीणों की समस्या पर कोई ध्यान दिया और न ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी. कलवारी-टांडा से माझा कला के बैरियरपुरवा जाने वाले मार्ग पर बना लकड़ी का पुल अब ढहने के कगार पर है. पुल पर लोग जान हथेली पर रखकर आवागमन कर रहे हैं.
कुदरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत माझा कला का बैरियर पुरवा गांव घाघरा नदी के तट पर टांडा घाट के पास बसा हुआ है. इस पुरवे के 45 घरों के लोगों के अलावा माझा में खेती करने वाले लोगों के आने-जाने का यही एक मार्ग है. 50 साल पहले इस मार्ग पर लकड़ी का पुल बना था. उस समय इसी मार्ग से लोग नदी घाट पर जाकर नाव से टांडा जाते थे. समय-समय पर इस पुल की मरम्मत भी होती थी. साल 2013 में सरयू नदी पर पक्का पुल बन जाने से इस मार्ग की उपयोगिता मात्र कुछ लोगों के लिए ही रह गई. इधर कई वर्षों से पुल की मरम्मत न होने से अब यह जर्जर हो गया है.
बैरियरपुरवा गांव के लोगों ने बताया कि पांच वर्ष पहले उन लोगों ने जनसहयोग से पुल की मरम्मत कराई थी. दो वर्ष से पुल का पूर्वी हिस्सा गिरने की स्थिति में आ गया है. कोई और विकल्प न होने से इसी रास्ते से आना-जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार पुल की मरम्मत कराई गई थी. स्थानीय विधायक को भी इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन किसी ने भी उनकी दिक्कत का हल नहीं किया, जिले के अफसर भी इस गांव में आज तक नहीं आये, जिस वजह से यह गांव एक संपर्क मार्ग के लिए तरस रहा.