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बस्ती: 'मनोरमा नदी' पर अस्तित्व का संकट, विधायक को एनजीटी के स्वीकृति का इंतजार - manorama river in basti

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बहने वाली पौराणिक नदी मनोरमा की साफ-सफाई के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये का बजट आवंटित किया था. बावजूद इसके स्थानीय विधायक एनजीटी की स्वीकृति की बात कहकर बात टाल देते हैं.

बस्ती में मनोरमा नदी.
साफ-सफाई के अभाव में गंदी हो रही मनोरमा नदी.

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Published : Mar 12, 2020, 5:39 AM IST

बस्ती: गोंडा से बस्ती जिले तक बहने वाली पौराणिक नदी मनोरमा का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है. नदी की साफ-सफाई के सवाल पर विधायक एनजीटी का हवाला देने लगते हैं.

साफ-सफाई के अभाव में गंदी हो रही मनोरमा नदी.

नहीं हो रही नदी की सफाई
अस्तित्व खो रही नौ पौराणिक नदियों को जीवन देने के लिए योगी सरकार ने पहल की थी, जिसमें बस्ती की मनोरमा नदी भी शामिल है. सरकार की तरफ से 100 करोड़ का बजट भी आंविटत किया गया. नदी के लिए 30 करोड़ रुपये के सफाई का काम मनरेगा से कराए जाने की योजना बनी, लेकिन सभी तैयारियां सिर्फ कागजों में गुम होकर रह गईं.

115 किलोमीटर लंबी है मनोरमा नदी
115 किलोमीटर लंबी पौराणिक मनोरमा नदी का इतिहास भगवान राम के उद्भव से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि मनोरमा नदी उद्यालक ऋषि की पुत्री है. गोंडा जिले में इटियाथोक के पास आज भी ऋषि का आश्रम है. अब इस नदी में गंदगी, जलकुंभी, गांवों के नालियों का पानी और कुछ फैक्ट्रियों का गंदा पानी गिराया जा रहा है, जिससे यह नदी दूषित हो रही है.

एनजीटी के आदेश का इंतजार कर रहे विधायक
स्थानीय विधायक अजय सिंह का कहना है कि जब तक नदी की ड्रेजिंग नहीं होगी, वह साफ नहीं होगा. नदी में काम कराने का प्रयास किया जा रहा है. बिना एनजीटी के स्वीकृति के खुदाई नहीं की जा सकती.

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