बस्ती:याकूब के गोद में उसके जिगड़ी दोस्त अमृत का सिर, सिसकती सांस और रोती आत्मा को दर्शाती एक फोटो जब कैमरे से निकलकर दुनिया भर में वायरल हुई तो यकीन मानिए जिसने भी इस फोटो को देखा उसका कलेजा मुंह को आ गया. याकूब ने अंतिम सांस तक अपने दोस्त अमृत का साथ नहीं छोड़ा था. अमृत तो अब इस दुनिया में नहीं है मगर लॉकडाउन का एक साल बीत जाने के बाद याकूब किस हाल में है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लखनऊ से 230 किलोमीटर दूर बनकटी ब्लॉक के देवरी गांव में पहुंची. यहां रह रहे याकूब के सपने टूट चुके है, याकूब दोबारा लौटकर रोजी रोटी की तलाश मुंबई या सूरत नहीं गया क्योंकि वो मंजर उसे दोबारा लौटने की इजाजत नहीं देता. अब याकूब गांव में ही वेल्डिंग की दुकान खोलकर काम कर रहा है. याकूब का सपना था कि वो किसी शहर में अपना घर बना सके, लेकिन अब उसका सपना टूट चुका है.
क्या था मामला
दरअसल, कोरोना काल में 24 साल का अमृत गुजरात के सूरत से यूपी के बस्ती जिले में अपने घर एक ट्रक से लौट रहा था. उस ट्रक में कई और लोग भी सवार थे. ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोर लेन से गुजर रहा था, तभी अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी. ट्रक में सवार लोगों को लगा कि अमृत को कोरोना हो गया है, इसलिए डरकर लोगों ने उसे अमृत को ट्रक से उतार दिया और आगे बढ़ गए. इन सबके बीच अमृत का दोस्त याकूब मोहम्मद भी ट्रक से उतर गया. उसने अपने दोस्त अमृत के साथ रहने का फैसला किया. इस दौरान अमृत की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी. कोरोना संक्रमित होने के बाद भी याकूब ने अमृत का साथ नहीं छोड़ा. उसका सिर अपनी गोद में रखे मदद की आस में बैठा रहा. याकूब अपने दोस्त अमृत से लगातार कहता रहा कि थोड़ी देर में एंबुलेंस आएगी और वो ठीक होकर अपने गांव लौट जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस आते-आते बहुत देर हो गई और वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया.