बस्ती:प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा और सुविधा की बात करें तो हम कहीं पीछे खड़े नजर आते हैं. इतना ही नहीं, धीरे-धीरे यह धारणा भी बनी कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो ही नहीं सकता, लेकिन बस्ती जिले के प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट की बेहतर सुविधाओं और पढ़ाई से प्रदेश भर में एक अलग पहचान बन गई है. यह सब इस स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट के अथक परिश्रम की बदौलत हो सका है. इस स्कूल में बच्चे प्रोजेक्टर और बिजली-पंखे की सुविधा में बैठकर पढ़ाई करते है. डॉ. सर्वेष्ट को इनके बेहतर कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है.
स्कूल में मिल रही कान्वेंट जैसी सुविधा
प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट आज प्रधानाध्यापक डॉक्टर सर्वेष्ट की कर्मठता के कारण किसी कान्वेंट स्कूल से अधिक सुविधाओं से लैश हो गया है. बच्चों की संख्या भी 300 हो चुकी है. लॉकडाउन के दौरान लगभग 100 बच्चों ने इस विद्यालय में एडमिशन लिया है. विद्यालय में स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, सीट बेंच, बिजली, पंखे, सोलर लाइट, सभी कमरों में हवाइट बोर्ड, टीएलएम कार्नर, वॉल पुट्टी, प्लास्टिक पेंट, रंग बिरंगी पेंटिंग से सजी दीवारें, पेड़-पौधों और फूलों से सुसज्जित परिसर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह कोई सरकारी स्कूल है या प्राइवेट स्कूल. इस स्कूल में बच्चों को न केवल गतिविधि आधारित शिक्षा देने की व्यवस्था है, बल्कि पुस्तकालय, व्यक्तित्व निर्माण केन्द्र, खेल सामग्री, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आर्ट क्राफ्ट सिखाने की भी व्यवस्था है.
सोशल मीडिया पर भी बनाई पहचान
प्राथमिक विद्यालय में बाल अखबार का प्रकाशन किया जाता है. बच्चों में कम्पटीशन की भावना विकसित करने के लिए स्टार ऑफ द मंथ छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के चयन किए जाने का कार्य होता है. प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट का सोशल मीडिया व इंटरनेट पर पर भी अपनी अलग पहचान है. विद्यालय का खुद का फेसबुक पेज, ट्वीटर पर हैश टैग 'एमपीएस मूड़घाट' के नाम से उपलब्ध है. विद्यालय की वेबसाइट बनने की प्रक्रिया में है. स्कूल के स्मार्ट क्लास में केवल बच्चों को पढ़ाया ही नहीं जाता, बल्कि विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, रसोईयों और शिक्षकों के प्रशिक्षण का काम भी किया जाता है.
ऑनलाइन चल रही क्लास
डाॅ. सर्वेष्ट ने विद्यालय में सारी सुविधाएं अपने स्वयं के पैसे खर्च कर और जनसहयोग से विकसित किया है. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद चल रहे थे तो उस दौरान भी डॉक्टर सर्वेष्ट और उनकी टीम ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण कार्य कराया. उन्होंने ऑनलाइन के माध्यम से एक डिजिटल क्लास विकसित करके उसमें बच्चों और उनके शिक्षकों को सीधे जोड़ा. इससे स्कूल में न होते हुए भी बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे. अभी भी ऑनलाइन शिक्षण की यह प्रक्रिया चल रही है.