बस्ती: जिले के मेडिकल कॉलेज में 'आउट सोर्सिंग' के जरिए 175 स्टाफ नर्स, लैब टेक्निशियन सहित अन्य पदों की भर्ती के मामले में 'माननीयों' की सिफारिश बेकार जाने वाली है. इस मामले में सबसे अधिक नुकसान 'माननीयों' का ही हुआ. एक तो सिफारिशी पत्र वायरल होने से बदनामी हुई, ऊपर से जिन लोगों की सिफारिश की गई उनकी भी भर्ती नहीं हुई.
ईटीवी भारत को यूपी के डीजी केके गुप्ता का वह पत्र हाथ लगा है, जिसमें आउट सोर्स कंपनी के घोटाले की पुष्टि हुई है. उसके मुताबिक शासन कभी भी मानव की आपूर्ति करने वाली एजेंसी के अनुबंध को निरस्त कर सकती है और उसे ब्लैक लिस्टेड कर सकती है. शासन की ओर से यह कार्रवाई मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण की रिपोर्ट के बाद होने जा रही है.
एजेंसी का अनुबंध निरस्त होने के बाद धन वसूली करने वालों के असली चेहरे सामने आएंगे और धन वापसी की मांग होने लगेगी. इसके लिए काफी हद तक शासन की उन नीतियों को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसमें मुख्यालय पर ही एजेंसी निर्धारित करनी है. कहा भी जा रहा है कि जब नियुक्ति स्थानीय मेडिकल कॉलेज में हो रही है तो स्थानीय लोगों और स्थानीय एजेंसी के द्वारा होनी चाहिए थी.