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बेघरों को न मिल सका आसरा, गरीबों के आवास पर अमीरों का कब्जा - Scam in Asra Housing Scheme in basti

उत्तर प्रदेश के बस्ती में 'आसरा आवास योजना' अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. जिले में इस योजना के तहत दिए जाने वाले घरों को गरीबों को वितरित न करके उन्हें अमीरों को दे दिया गया है.

बस्ती में आसरा आवास योजना में हुआ घोटाला
बस्ती में आसरा आवास योजना में हुआ घोटाला

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Published : Jun 30, 2020, 1:24 PM IST

बस्ती: सूबे के मुखिया सीएम योगी जहां एक तरफ राज्य को भष्टाचार मुक्त करने की बात करते हैं और उतर प्रदेश को उतम प्रदेश बनाने का सपना देख रहे हैं, वहीं सरकार की एक महत्वपूर्ण आसरा आवास योजना अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए सभी नगरपालिका और नगर पंचायतों में आसरा आवास योजना से भवन बनाकर गरीबों को वितरित करने की योजना शुरू की थी. जिससे अति गरीबों को भी एक छत मिल सके, लेकिन गरीबों के लिए बनी इस योजना पर विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का ग्रहण लग गया है.

बस्ती में आसरा आवास योजना में हुआ घोटाला

भाजपा के क्षेत्रीय विधायक अजय सिंह ने खुद भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और नगर पंचायत की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खडे किए. डूडा द्वारा बनाए गए आसरा आवास की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए प्रकरण की जांच कराने की बात कही है.

पढ़ें पूरा मामला

मामला बस्ती जनपद के हरैया नगर पंचायत में बने आसरा आवास का है. जहां गरीबों को दिया जाने वाला आसरा आवास उन्हें न देकर अमीरों को दे दिया गया है. जब इस आवांटन प्रक्रिया पर बीजेपी विधायक ने हस्तक्षेप किया तो पूरा मामला खुलकर सामने आ गया. आसरा आवास की 37 पात्रों की आवंटन सूची में 21 लोग अपात्र निकले. ऐसे लोगों का नाम सूची में सम्मिलित मिला जो पहले से ही अमीर हैं, जिनके पास चारपहिया वाहन हैं, जमीन है, दो-दो मकान हैं और तो और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बस्ती जनपद के बाहर के रहने वाले हैं.

हरैया नगर पंचायत में डूडा की तरफ से गरीबों को रहने लिए आसरा आवास का निर्माण कराया गया है, जिसमें 84 फ्लैट बनाकर कम्पलीट कर दिये गये. नगर पंचायत के अन्दर रह रहे गरीबों को नगर पंचायत और डूडा की तरफ से पहली लिस्ट संस्तुति कर उनका आंवाटित भी कर दिया गया. जब नगर पंचायत ने दूसरी लिस्ट संस्तुति के लिए भेजा तो उस पर क्षेत्रीय विधायक अजय सिंह ने सवाल खड़ा कर दिया.

विधायक ने बताया कि 37 लोगों की इस लिस्ट में 21 नाम उन लोगों के हैं जिनके पास जमीन और मकान पहले से हैं. इनमें कुछ लोग बस्ती जिले के निवासी भी नहीं हैं. इस प्रकार इन अपात्रों को आवास क्यों दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसकी पूर्णतया जांच-पड़ताल होनी चाहिए और जो भी दोषी हो उनके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए. बता दें कि आश्रय आवास में रह रहे गोसाईंगंज अयोध्या जनपद के निवासी रामपाल जो सभासद का रिश्तेदार हैं, उनको भी आवास आवंटित कर दिया गया. विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि तत्कालीन ईओ की भूमिका इसमें संदिग्ध पाई जा रही है और यदि वह जांच में दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई भी की जाएगी.

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