बस्ती: अभी उप कृषि निदेशक कार्यालय में ‘खलिहान पक्कीकरण’ योजना की पत्रावली गायब होने का मामला चल ही रहा था कि ‘हरित क्रांति योजना' की पत्रावली गायब होने का मामला सामने आ गया है. दोनों योजनाओं की पत्रावली में करोड़ों रुपये के अनुदान का राज छिपा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि जांच और कार्रवाई से बचने के लिए ही पत्रावली को गायब कर दिया गया है. उस पर अधिकारी बहाना यह बना रहे हैं कि पत्रावली लिपिक अपने साथ ले गए हैं और वापस मंगाने के लिए लिखा-पढ़ी की जा रही है.
डीएम ने उप कृषि निदेशक से मांगा जवाब
खलिहान पक्कीकरण योजना की पत्रावली गायब हुए छह माह से अधिक का समय हो गया, मगर विभाग के अधिकारी मुकदमा दर्ज कराने के बजाए लिखा-पढ़ी में पड़े हुए हैं. इसी बात से विभागीय अधिकारियों की सक्रियता और पत्रावली के प्रति संवेदनशीलता का पता लगाया जा सकता है. अधिकारी उस समय हरकत में आए, जब डीएम ने इस पर उप कृषि निदेशक से जबाव-तलब किया.
डीएम को दिया गया यह जवाब
जिला विकास अधिकारी के जरिए डीएम को जबाव दिया गया, जिसमें पत्रावली के गायब होने की बात को ही नकार दिया गया गया और सिर्फ इतना कहा गया कि पत्रावली लिपिक अपने साथ बहराइच लेकर चले गए हैं. अब सवाल उठता है कि अनुदान जैसे महत्वपूर्ण पत्रावली अगर कार्यालय से छह माह से अधिक समय से गायब हैं या फिर लिपिक लेकर चले गए तो विभागीय अधिकारी क्या कर रहे हैं?
उप कृषि निदेशक ने लिपिक को लिखा पत्र
‘हरितक्रांति योजना' में कृषि यंत्रों पर दिए गए करोड़ों के अनुदान वाली पत्रावली तत्कालीन वरिष्ठ सहायक वीरेंद्र नाथ दूबे की अभिरक्षा में था. इनका भी तबादला छह माह से अधिक हुए श्रावस्ती हो गया. वीरेन्द्र नाथ दूबे अपने साथ अनुदान वाली पत्रावली भी ले गए, ताकि गोलमाल का राज न खुल सके. अब जरा उप कृषि निदेशक के उस पत्र पर नजर डालिए, जो उन्होंने 28 जनवरी 2020 को वरिष्ठ सहायक को डीडीए श्रावस्ती के जरिए लिपिक को लिखा.