बस्ती: "तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है. मगर यह आंकड़े झूठे हैं, यह दावा किताबी है". किसी मशहूर शायर का यह शेर बस्ती जनपद पर बिल्कुल सटीक बैठता है. जी हां दावा, कोरोना वायरस महामारी से हुए लॉकडाउन में गरीबों को एक किलो दाल फ्री देने का, लेकिन केंद्र सरकार की घोषणा के 10 दिन बाद भी अभी तक मुफ्त दाल वितरण के लिए शासनादेश तक जारी नहीं हो सका है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बिना तैयारी के ये घोषणाएं किसलिए? देखिए एक रिपोर्ट....
सरकारी दावों के दलदल में फंस गई दाल. कोटेदार और कार्डधारकों के बीच हो रही है नोकझोक
दरअसल केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के कारण देश भर में ‘लॉकडाउन’ के अगले ही दिन गरीबों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की. इसमें अगले तीन माह के दौरान राशन की दुकानों से लोगों को पांच किलो गेहूं या चावल मुफ्त देने, साथ ही, प्रति परिवार एक किलो दाल भी देने की घोषणा की गई. यह अनाज राशनकार्ड पर मिलने वाले अनाज के अलावा था. इसके बाद से ही कोटेदार और कार्डधारकों के बीच नोकझोक के मामले बढ़ने लगे.
ईटीवी भारत ने की पड़ताल
जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि जिला प्रशासन के पास इस तरह का कोई शासनादेश नहीं है, जिसमें दाल देने का जिक्र हो. इस कारण कोटेदार कार्ड धारकों को दाल नहीं दे रहे हैं. इतना ही नहीं कहीं-कहीं ऐसी शिकायत भी आ रही है कि एक यूनिट में जितना राशन मिलना चाहिए कोटेदार उससे कम तौल कर दे रहे हैं.
क्या बोले जिम्मेदार
इस बाबत जनपद के रुधौली से बीजेपी विधायक संजय जायसवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने अगर घोषणा की है तो जरूर सोच समझ कर किया होगा, लेकिन अभी तक जो शासनादेश आये हैं वह सिर्फ चावल के लिए ही है. इसलिए मैंने मुख्यमंत्री की दाल के सम्बंध में पत्र लिखा है ताकि लोगों को केंद्र सरकार की मंशानुरूप दाल भी मिल सके. उन्होंने कहा कि वैसे 15 से 30 अप्रैल तक लोगों को दाल मिलने की संभावना है.
केंद्र सरकार की इस योजना के क्रियान्वन के लिए शासन में बात की गई है. शासन स्तर से दाल वितरण की व्यवस्था बनाई जा रही है. फिलहाल अभी यहां दाल वितरण नहीं की जा रही है. लोगों से अपील है कि परेशान न हों जैसे ही शासन का निर्देश आएगा हम तत्काल इसकी व्यवस्था कराएंगे.
-आशुतोष निरंजन, डीएम