बस्तीःजिले मेंएक नगर पालिका और नगर पंचायत की सीटों पर आने वाली 11 मई को मतदान होना है. इसके बाद 13 मई को जनता का फैसला सबके सामने होगा. कप्तानगंज नगर पंचायत में पहली बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में जनता काफी उत्साहित भी है कि वे पहली बार अपना अध्यक्ष चुनने जा रहे हैं, जो उनके गली मोहल्लों और क्षेत्र का विकास करेगा. कप्तानगंज पिछड़ा बाहुल्य इलाका माना जाता है. विकास के मामलों में यह इलाका अभी बहुत पिछड़ा हुआ है. कप्तानगंज विधानसभा सीट पर पूर्वांचल के छात्र नेता और पूर्व मंत्री सपा के राष्ट्रीय सचिव राम प्रसाद चौधरी का 25 साल तक कबजा रहा और इस बार उनके बेटे अतुल चौधरी कप्तानगंज विधानसभा सीट से विधायक हैं. बावजूद इसके विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ.
जनता मानती है कि पिछड़े समाज के बड़े नेता राम प्रसाद चौधरी हैं और उनके प्रभाव में एक बड़ा वर्ग उनके साथ रहता है, जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलता है और वह हर चुनाव फतेह कर लेते हैं. इस बार भी पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी और उनके बेटे व सपा विधायक अतुल चौधरी ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, जिसको लेकर बीजेपी के खेमे में खरमंडल मचा हुआ है. बीजेपी के नगर पंचायत कप्तानगंज से घोषित कंडीडेट वीरेंद्र मिश्र की छवि समाजसेवी के तौर पर है. पहली बार वे चुनाव मैदान में है और उम्र के साथ साथ अनुभव से लबरेज होकर जीत का दावा करते नहीं थक रहे.
बीजेपी प्रत्याशी वीरेंद्र मिश्र का कहना है कि 'कप्तानगंज की कप्तानी जनता उसे ही सौंपेगी, जो उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा. विकास के मुद्दे पर जनता की पहली पसंद बीजेपी है. मगर, उनका विश्वास थोड़ा डगमगा जाता है, जब उनसे सवाल होता है कि कप्तानगंज की राजनीति के मझे खिलाड़ी पूर्व मंत्री सपा के राष्ट्रीय सचिव राम प्रसाद चौधरी से निपटने का सवाल होता है'. वीरेंद्र मिश्र कहते हैं कि 'कप्तानगंज को राम प्रसाद अपनी जागीर समझते हैं, एक जाति वर्ग और विशेष की वोट राजनीति करके वे उनके नेता बने हैं और कई साल तक कप्तानगंज पर राज किया. मगर, विकास के मामले में उनका रवैया वही ढाक के तीन पात वाला ही है'.