बस्ती: जिले के कप्तानगंज ब्लाक के ओझागंज गांव में एक ही परिवार के तीन बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई थी. इसकी सूचना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है, जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और गांव में जिला प्रशासन की टीम ने पहुंचकर जांच की. जांच में सामने आए आंकड़ चौंकाने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार जिले में 50,903 बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए हैं.
बस्ती में कुपोषण के भयावह आंकड़े, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब - कुपोषण की खबर
यूपी के बस्ती में पिछले दिनों एक ही परिवार के 3 बच्चों की कुपोषण के कारण मौत हो गई थी. इसकी सूचना मिलने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है. गांव में जिला प्रशासन की टीम ने पहुंचकर जांच की तो एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. इसके अनुसार 50 हजार से अधिक बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए हैं. देखें स्पेशल रिपोर्ट...
डीएम ने दी जानकारी
डीएम ने बताया कि जांच रिपोर्ट में जो बताया गया है उसके अनुसार हरिश्चन्द्र के 3 बच्चे थे, जिनके पहले बच्चे की मौत 11 वर्ष पहले एक महीने की अल्प आयु और दूसरे बच्चे की मौत 6 वर्ष पहले एक वर्ष की अल्प आयु में हुई थी. कुछ दिनों बाद एक और बच्चे की मौत हो गई थी. प्राइमरी रिपोर्ट हमारे पास आई है, उसके हिसाब से ये प्रतीत होता है कि जो यह पूरा केस है, यह कुपोषण अथवा सरकारी योजनाओं के अभाव से प्रतीत नहीं होता है.
कहां हैं सरकारी योजनाएं
बस्ती जिले में कुपोषण बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में स्थिति बहुत ही भयावह है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 50,903 बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए हैं. इनमें से 8931 बच्चों को रेड जोन में रखा गया है, जो की अतिकुपोषित हैं. वहीं 41972 बच्चों को यलो जोन में रखा गया है. इनमें से ज्यादातर बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं या कुपोषण की तरफ बढ़ रहे हैं. इनको पर्याप्त डाइट नहीं मिल पा रही है. सरकार कुपोषण को लेकर तमाम तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन जितनी बड़ी संख्या कुपोषित बच्चों की सामने आ रही है. उसे देखकर ऐसा नहीं लगता है की योजनाओं का लाभ इन तक पहुंच रहा है.
पढ़ें- बस्ती: कोरोना वायरस को लेकर इंडो-नेपाल बॉर्डर पर हाई अलर्ट