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बस्ती: कारसेवकों पर गोलीकांड की कहानी, जानिए चश्मदीद विधायक की जुबानी

राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम पांच अगस्त को आयोजित है. ऐसे में पूरे देश की निगाहें अयोध्या पर टिकी हुई है. साथ ही इन दिनों राम मंदिर के कारसेवकों पर हुए गोली कांड की भी खूब चर्चा हो रही है.

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अयोध्या गोलीकांड के मंजर को विधायक ने ईटीवी भारत से साझा किया.

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Published : Aug 4, 2020, 11:53 AM IST

बस्ती:अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होना है. इसमें पीएम मोदी भी शामिल होने वाले हैं. ऐसे में पूरे देश की निगाहें अयोध्या पर टिकी हुई है. साथ ही इन दिनों राम मंदिर के कारसेवकों पर हुए गोली कांड की भी खूब चर्चा हो रही है. बस्ती जिले से भी हजारों की संख्या में लोग कारसेवकों में शामिल थे. इसमें से एक हरैया के विधायक अजय सिंह भी थे. विधायक अजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में उस दौरान के अनुभवों को साझा किया.

अयोध्या गोलीकांड के मंजर को विधायक ने ईटीवी भारत से साझा किया.
विधायक अजय सिंह ने गोली कांड की चर्चा करते हुए बताया कि ये परमपिता भगवान श्री राम की कृपा है कि मैं भी कारसेवक हूं और उस दौर का प्रत्यक्षदर्शी हूं. विधायक ने बताया कि उस दौरान मेरे गांव लजघटा से 37 लोग कारसेवा में शामिल हुए थे. इसमें मेरे अलावा मेरे परिवार से भी दो लोग रथयात्रा में शामिल होने के लिए निकले थे. उन्होंने बताया कि उस समय क्या बूढ़े, क्या बच्चे, सबके मन में सिर्फ यही था कि राम मंदिर बनाना है. विधायक ने बताया कि उस दिन हम लोग विक्रमजोत से होते हुए तीन नदी पार करते हुए नया घाट पहुंचे. यहां पर हजारों लोगों का हुजूम था, सैकड़ों नाव लगी हुईं थी. हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात था. हम सुबह छह बजे वहां पहुंचे थे.

विधायक ने बताया कि बड़ी बात ये थी कि घर से हम तीनों अलग-अलग हनुमान गढ़ी को चले थे. कारसेवक अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ते चले जा रहे थे. इसी दौरान वहां कोहराम मच गया. पुलिस ने हनुमानगढ़ी के पास कारसेवकों को पीछे हटाने के लिए बर्बर लाठीचार्ज शुरू किया. आंसू गैस के गोले छोड़े. जब कार सेवक पीछे हटने को तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने गोलियां चला दी.

विधायक ने कहा, "मैं प्रत्यक्षदर्शी हूं. आज भी सारे दृश्य ताजा हैं. जो जमीन पर गिर गया वो उठ नहीं पाया. कई लोगों को गोली लगी. पुलिस लेटकर गोली चला रही थी, ताकि लोगों के पैर में गोली लगे और वो यहां से वापस चले जाएं". विधायक ने उस मंजर का जिक्र करते हुए बाताया कि पुलिस के गोली चलाते ही लोगों को पीछे हटना पड़ा. उस वक्त मैं (अजय) महज 16 का था, जब हममें मंदिर बनाने की आस्था जागृत हुई थी. वहीं मेरे साथ हनुमानगढ़ी के लिए मेरा भतीजा और 19 वर्षीय बड़े भाई निकले थे.

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