बस्तीः पिछले एक साल से कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था अस्तव्यस्त है. प्राइवेट स्कूलों में तो किसी तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. वहीं, अगर मिड डे मील की बात करें तो सरकार की तरफ से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र और छात्राओं के अभिभावकों के खाते में मिड डे मील का पैसा सीधे भेजा जा रहा है. खाते में पैसे भेजने का उद्देश्य यह है कि जिस तरीके से इन बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में सरकार की तरफ से मिड डे मील मिला करता था, उसी तरीके से यह सभी बच्चे घरों पर रहकर पोषण युक्त आहार ग्रहण करें.
ये बोले बच्चे और अभिभावक
ऐसे ही एक परिवार के पास पड़ताल की गई. कूदरहा ब्लॉक के सेलहरा गांव की रहने वाली मधु के घर पहुंचे. मधु गांव के ही प्राइमरी स्कूल में क्लास 6 में पढ़ाई करती हैं. जबसे स्कूल बंद हैं तबसे वह घर में ही रहकर पढ़ रही हैं. मधु ने बताया की उसके माता-पिता उसे स्कूल में मिलने वाले मिड डे मिल से भी अच्छा पोषक आहार खिला रहे हैं. वहीं, मधु की मां का कहना है कि उसका खाता नंबर तो मधु के स्कूल के अध्यापक लेकर गए थे मगर उनके खाते में पैसा नहीं आया. ज्यादा जानकारी करने पर उन्होंने बताया कि दरअसल, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सरकार द्वारा भेजे जा रहे मिल डे मील का पैसा उसके खाते में भेजा जा रहा है या नहीं. खाते के पैसों की जानकारी बिना बैंक गए उन्हें नहीं होती. यही हाल गांव में तमाम लोगों का है. तमाम लाभार्थियों को यह पता ही नहीं की सरकारी योजना का उन्हें लाभ मिल रहा है या नहीं.