बस्ती: बढ़ती आबादी पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा रही है. शहरों की आबोहवा हर रोज दूषित हो रही है, मगर इन सबके बीच बस्ती के एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने खेती की तरफ ऐसी रुचि दिखाई कि सरकारी नौकरी तक को ठुकरा दिया. अब वह खेती के माध्यम से अपना परिवार चला रहे हैं. साथ ही उन्होंने कई गरीबों को रोजगार भी दिया है.
पर्यावरण प्रेम ऐसा कि खेती के लिए छोड़ दी दो सरकारी नौकरियां - उत्तर प्रदेश समाचार
यूपी के बस्ती जिले में पर्यावरण प्रेमी सुधाकर सिंह पर्यावरण प्रेमी हैं. इन्होंने खेती करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. खेती के साथ उन्होंने कई गरीबों को रोजगार भी दिया है.
खेती किसानी में अपनी पहचान बनाने के बाद खुद की 5 एकड़ जमीन में उन्होंने लगभग 2 हजार फलदार पौधे रोपे. यहां आम, कटहल, आंवला, यूकेलिप्टस, पापुलर, सागौन के पेड़ों के साथ फूल, पत्तियों का आकर्षक उपवन भी है. वह बच्चे की तरह एक-एक पेड़ का ख्याल भी रखते हैं. अब इनकी बगिया गांव में हरियाली बिखेरने के साथ आमदनी का जरिया भी बन गई है. सीजन में आम और कटहल के फल लाख रुपये में बिकते हैं. उन्होंने इसी के जरिए कुछ लोगों को रोजगार भी दिया है. उनके अलावा लगभग 10 से 12 लोग बगिया की देखभाल में वर्ष भर जुटे रहते हैं. फलों की बिक्री से उन्हें बाकायदा पारिश्रमिक भी मिल रहा है.
शुरू में पौधों की सिंचाई के लिए उनके पास पंपिंगसेट ही साधन था. अब सोलर पंप के सहारे बगिया और खेत की सिंचाई के साथ घर की बिजली भी जल रही है.