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मैथिली ठाकुर के स्वरों की कायल हुई बस्ती, गीतों पर जमकर झूमे लोग - बस्ती महोत्सव

बस्ती महोत्सव में भोजपुरी कलाकार मैथिली ठाकुर के स्वर देर रात तक गूंजते रही. मैथिली ठाकुर के गीतों का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया. मैथिली ठाकुर ने सूफी गीत दमा दम मस्त कलंदर..., छाप तिलक सब छीनी रे... और कव्वाली गीत मेरे रसके कमर... आदि की प्रस्तुतियां दी.

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मैथिली ठाकुर ने मंच से समा बांधा.

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Published : Jan 29, 2020, 6:22 AM IST

बस्ती: बस्ती महोत्सव के पहले दिन बिहार से आई भोजपुरी कलाकार मैथिली ठाकुर के स्वर देर रात तक गूंजते रहे. कभी शहनाई के गीत तो कभी मिथिला के सोहर अवधी क्षेत्र के लोगों को खूब भाया. मैथिली अपने दो छोटे भाई ऋषभ व अयाची ठाकुर और पिता रमेश ठाकुर के साथ मंच पर आई. लोगों ने तालियां बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया. थोड़ी देर में मैथिली ने पूरी महफिल सजा दी. उनके कंठ से निकल रही मीठी धुन हर किसी के सीधे दिल में उतर रही थी.

मैथिली ठाकुर ने मंच से समा बांधा.


मैथिली ने भगवान राम के जन्म से लेकर विवाह तक का चित्रण अपने भोजपुरी गीतों में किया. सोहर और विवाह गीत भगवान राम के जीवन से जुड़ी याद को तरोताजा करा गया. मैथिली के गीत के बोल उनके भाई दोहरा रहे थे. सूफी गीत दमा दम मस्त कलंदर से उमंग की तरंगे पूरे पंडाल में धधक उठी. वहीं छाप तिलक सब छीनी रे और कव्वाली गीत मेरे रसके कमर ने युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया.

इसके बाद तो ऐसा लगा जैसे भीड़ पर मैथिली ने जादू कर दिया. उन्होंने मिथिला नगरिया निहाल सखिया गीत पर भगवान राम के विवाह का अलौकिक दर्शन कराया. लोग मैथिली संगीत परिवार को खूब शाबाशी देते रहे. रात के साथ बस्ती महोत्सव का रंग और गहरा होता चला गया.

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