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बस्ती में लॉकडाउन का असर, दिहाड़ी मजदूरों पर छाया जीवनयापन का संकट

यूपी के बस्ती जिले में लॉकडाउन का असर सामान्य जनजीवन पर तो देखने को मिल ही रहा है, लेकिन इसके चलते दिहाड़ी मजदूरों के सामने जीवनयापन का संकट पैदा हो गया है.

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Published : Mar 25, 2020, 4:59 PM IST

lockdown effect on workers in basti
बस्ती में दिहाड़ी मजदूरों के सामने छाया जीवनयापन का संकट.

बस्ती: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसका असर जनपद में भी देखने को मिल रहा है. वहीं लॉकडाउन से सबसे ज्यादा वे मजदूर प्रभावित हो रहे हैं, जिनका गुजारा रोज की दिहाड़ी से होता है.

दिहाड़ी मजदूरों के सामने छाया जीवनयापन का संकट.

मजदूरों पर छाया रोटी का संकट
दरअसल, लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूर घर से निकल नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते इनका कामकाज ठप हो गया है. अब रोजाना 300-400 रुपये कमाने वाले इन दिहाड़ी मजदूरों के सामने सबसे बड़ा संकट जीवनयापन का भी पैदा हो गया है.

श्रम विभाग में नहीं हुआ है रजिस्ट्रेशन
योगी सरकार ने वैसे तो दिहाड़ी मजदूरों के लिए एक हजार रुपये अकाउंट में भेजने का दावा किया है. सरकार ने 20 लाख लोगों को एक हजार देने की बात कही है. लेकिन ये वे लोग हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग में हुआ है. अब सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि जितने दिहाड़ी मजदूर श्रम विभाग में रजिस्टर्ड हैं, उससे कहीं ज्यादा बिना रजिस्ट्रेशन वाले हैं. ऐसे में इनको सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अब इन्हें काम न मिलने के चलते रोटी तक की मोहताजगी झेलनी पड़ रही है.

मजदूरों की मानें तो
बुधवार को लॉकडाउन के पहले दिन नाके पर कुछ मजदूर पहुंचे, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला. जब इस बाबत उनसे बात की गई तो उन्होंने अपने दर्द को बयां किया. मजदूरों ने बताया कि बंदी की वजह से काम नहीं मिल रहा है. कहीं मिल भी गया तो उतने पैसे नहीं मिल रहे. ऐसे में उधारी ही महज एक रास्ता बचा है.

सरकार की योजना का नहीं मिल रहा लाभ
बातचीत में मजदूरों ने बताया कि उधारी भी जल्दी कोई देने को तैयार नहीं है. ज्यादातर लोगों के पास तो खेती भी नहीं है. ऐसे में वे खाने-पीने की चीजों के लिए बाजार पर ही निर्भर हैं. वहीं कुछ को तो ये भी नहीं पता कि श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन भी होता है. ऐसे में सरकार की योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सार्वजनिक बंदी के साथ एलान किया है कि दिहाड़ी मजदूरों के लिए खाते में पैसे भेजे जाएंगे और खाने की आपूर्ति भी की जाएगी. हालांकि काफी लोगों को अभी तक इसका कोई फायदा नहीं मिला है. बता दें कि भारत में कोरोना वायरस की चपेट में आने वालों की संख्या 580 के पार निकल चुकी है, जिनमें से 11 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

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