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बस्ती: 51 साल से विवादित जमीन को भू-माफियाओं ने बेचा, एसडीएम ने रोका निर्माण - बस्ती समाचार

उत्तर प्रदेश के बस्ती में हाईकोर्ट में विवादित जमीन को बेचने का मामला सामने आया है. इसको लेकर एक समाजसेवी ने एक शिकायती पत्र सौंपा है और कार्रवाई की मांग की है. वहीं इस विवादित जमीन पर एसडीएम ने निर्माण रोकने के आदेश जारी किए हैं.

बस्ती में विवादित जमीन को भू-माफियाओं ने बेचा
बस्ती में विवादित जमीन को भू-माफियाओं ने बेचा

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Published : Jun 7, 2020, 10:43 AM IST

बस्ती: जिले में पिछले 51 साल से विवादित जमीन को भू-माफियाओं ने कागजों में हेराफेरी कर बेचना शुरू कर दिया. समाजसेवी ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को इस मामले को लेकर शिकायती पत्र सौंपकर कार्यवाही की मांग की है. 22 बीघे की इस जमीन का हाईकोर्ट में मुकदमा लम्बित चल रहा है. मुकदमे के बावजूद भू-माफियाओं ने ग्रामसभा की जमीन पर कब्जा कर लिया.

इसकी बिक्री और स्थाई निर्माण पर रोक लगाते हुए, मुकदमे के दौरान हुए बैनामे को निरस्त कर जमीन का उपयोग सामाजिक कार्यों हेतु किये जाने की मांग करते हुए समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा को शिकायती पत्र लिखा. चंद्रमणि ने बताया कि ग्रामसभा संग्रामपुर में स्थित सहरायें गांव के निवासी राम किशुन की जमीन की किसी के नाम वसीयत न होने के चलते उसके कई वारिस खड़े हो गए. तत्कालीन चकबन्दी अधिकारी (COR) सम्पूर्ण सिंह ने किसी को असली वारिस सिद्ध न होने के चलते 30/07/83 को अपने आदेश में उक्त जमीन को ग्रामसभा की जमीन घोषित कर दिया था.

मामले की जानकारी देते चंद्रमणि पाण्डेय.

जमीन की होती रही बिक्री
इस आदेश के विरुद्ध रामप्यारे ने खुद हाईकोर्ट में अपील दाखिल करके खतौनी और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से समस्त जमीन का अनेक लोगों के नाम बैनामा कर दिया. इसकी शिकायत कर हाईकोर्ट का निर्णय न आने तक उक्त जमीन पर किसी भी प्रकार के कब्जे और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की. जमीन पर कब्जा तो बंद रहा मगर जमीन की बिक्री होती रही. इस बीच इस जमीन पर एक-दो लोगों ने कृषि कार्य शुरु किया. कुछ पड़ी जमीन पर ईंट की पथाई शरू हुई और अब तो बीते एक जून से पक्का निर्माण शुरू हो गया है.

बैनामा निरस्त करने की मांग
चंद्रमणि पाण्डेय ने बताया कि जिस जमीन का मुकदमा 1969 से लगातार चल रहा है, उसकी बिक्री और दाखिल खारिज कैसे हो रहा है. उन्होंने मांग की है कि उक्त जमीन पर कृषि या निर्माण किसी प्रकार के कब्जे को रोकते हुए तथ्यों को छुपाकर, मुकदमे के दौरान हुए समस्त बैनामें को निरस्त किया जाए. उक्त जमीन का उपयोग सार्वजनिक कार्य हेतु करने के लिए विधिक कार्यवाई सुनिश्चित हो. हालांकि इस मामले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने तत्काल अग्रिम आदेश तक निर्माण रोकने का आदेश एसओ हर्रैया को दे दिया है.

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